मांग बढ़ी, अब लगा रहे ‘साउंड लिमिटर’

भाटापारा। ऑर्डर दिए जाने लगे हैं “साउंड लिमिटर” के लिए। शहर और ग्रामीण क्षेत्र से एक साथ निकल रही मांग के बाद, सप्लाई लाइन थोड़ी कमजोर होती नजर आ रही है। इसलिए अब ऑनलाइन ऑर्डर दिए जा रहे हैं क्योंकि शादियों का सीजन चालू हो चुका है।

ध्वनि प्रदूषण को लेकर हाईकोर्ट की कड़ी फटकार के बाद, न केवल प्रशासन जागा है बल्कि साउंड सिस्टम बेचने और किराए पर देने वाले भी गंभीर नजर आ रहे हैं। इसलिए संस्थानें नए आर्डर में साउंड लिमिटर के साथ ही खरीदी की शर्त रख रहीं हैं। इसके अलावा अतिरिक्त खरीदी के ऑर्डर भी बुक करवाए जा रहे हैं ताकि पूर्व में बेचे जा चुके सिस्टम में लगवाया जा सके।

यह सबसे पहले

किराए पर साउंड सिस्टम और डीजे देने वाली दुकानें, “साउंड लिमिटर” की खरीदी में फिलहाल सबसे पहले नंबर पर है। शहर और ग्रामीण क्षेत्र में समान रूप से निकल रही मांग के बाद, इस यंत्र की उपलब्धता सीमित होती नजर आ रही है। इसलिए अब ऑनलाइन ऑर्डर दिए जाने लगे हैं ताकि जांच और कार्रवाई से बचा जा सके।

इसके बगैर विक्रय नहीं

सख्ती के बाद साउंड सिस्टम बेचने वाली संस्थानें अब ‘साउंड लिमिटर’ के साथ ही नए ऑर्डर कंपनियों को दे रही है। ऐसे में कंपनियों के पास मांग का दबाव बढ़ता जा रहा है। इसलिए ऑर्डर की सप्लाई में दो से तीन दिन का अतिरिक्त समय लग रहा है।यही वजह है कि ऑनलाइन का कारोबार विस्तार ले रहा है।

मांग दोनों में एक समान

निर्धारित डेसीबल से ज्यादा ध्वनि की स्थिति पर नियंत्रण के लिए मैन्युअल और ऑटोमेटिक लॉक होने वाले साउंड लिमिटर आते हैं। खरीदी में गंभीरता इसी बात से जानी जा सकती है कि ऑटोमेटिक लॉक होने वाले साउंड लिमिटर की खरीदी ज्यादा हो रही है। कीमत की बात करें, तो 3000 से 5000 रुपए के बीच यह तकनीक उपलब्ध हो रही है।

उच्च न्यायालय का आदेश

हाई कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत जो आदेश दिया है उसके बाद, साउंड सिस्टम का विक्रय और किराए पर देने के पहले सिस्टम में साउंड लिमिटर का लगाया जाना अनिवार्य होगा। शासकीय एवं अशासकीय आयोजन, दोनों में यह नियम प्रभावी होगा। जांच के दौरान यह तकनीक नहीं मिला, तो संबंधित व्यक्ति या संस्थान प्रमुख को 5 साल की कैद, एक लाख रुपए का अर्थ दंड या प्रतिदिन 5000 रुपए के अर्थ दंड से दंडित किया जाएगा।

By MIG