महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर रतनपुर युवा उत्थान समिति द्वारा विचार गोष्ठी का आयोजन
रतनपुर। गांधी के तर्को का जो सामना नहीं कर पाए उन्होंने गांधी की हत्या कर दी। गांधी की हत्या असहमति की हत्या है। गांधी के विरोधी असहमति का अधिकार छीन लेना चाहते हैं। गांधी के विचार में भारत विविध संस्कृतियों का समावेश है। विविधता के साथ देश को एकजुट रखने के लिए साहस चाहिए। गांधी में वो साहस था। उनके विरोधियों में वो साहस नहीं था। वो उनके विचारों से डरते थे। और उन्होंने गांधी को मार डाला। यह बात गांधी वादी स्कालर प्रोफेसर संजय वैद्य ने कही।
महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर रतनपुर युवा उत्थान समिति द्वारा विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में गांधी वादी स्कालर प्रोफेसर संजय वैद्य ने कहा गांधी जब नहीं थे, तब भी गांधी थे । गांधी को मरना था ही, तो मर गए गांधी । ये दिक्कत वाली बात नहीं, दिक्कत वाली बात है, कि हम हैं और हमारी समस्याएं हैं। उनका जवाब क्या है। ऐसे लोग चले जाते हैं सवाल छोड़ जाते हैं। क्या आपको गांधी की जरुरत है। यदि है तो खुद से सवाल पूछिए गांधी जवाब देंगे।

उन्होंने कहा लोगों को गांधी की बाते दिवास्वप्न लगती थी। गांधी कुछ भी कर सकते थे, किया भी। गांधी कुछ बनना नहीं चाहते थे। गांधी बनाना चाहते थे। जहां सत्ता की बात होती वहां गांधी नहीं होते। भारत जब आजाद हुआ तब भी गांधी नहीं थे। गांधी तो संविधान सभा में भी नहीं थे। गांधी गांवों को शासन की ईकाई बनाना चाहते थे। गांधी मानते थे देश गांवों के भरोसे खड़ा होगा। उन्होंने हिंद स्वराज में लिखा है कि एक दिन आएगा जब मशीने रोजगार खा जाएगी। आज हम इसे देख रहें हैं। गांधी में संवाद की अद्भूत क्षमता थी इस बात से अंग्रेज उनसे डरते थे। उन्होंने अपने जीवन में पैंतीस हजार चिट्ठियां लिखीं।

गोष्ठी में रमाकांत मालवीय, शंकर लाल पटेल, के.आर.कौशिक, अजय श्रीवास्तव यासीन खान, जमील अहमद को कर ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम की शुरुआत विनोद पटेल ने गांधी के भजन प्रस्तुत कर किया । इस मौके पर ज्ञानाधार शास्त्री, अभिषेक मिश्रा पुष्पकांत कश्यप, अभिनव तिवारी, जितेंद्र चंदेल,रमेश मरावी, यासीन अली, रवि रावत, राजा रावत, योगेश राज, पूर्णिमा वैष्णव, शैल जायसवाल, कुमारी बाई यादव के साथ छात्र छात्राएं व नागरिक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन शीतल जायसवाल व आभार रियाज अहमद खोखर ने व्यक्त किया।