मुरमुरा, पोहा शांत

भाटापारा। टूटते बाजार को मकर संक्रांति का सहारा नहीं मिला होता, तो मुरमुरा और लाई में छाई मंदी और भी गहरा जाती। ठहरी हुई मांग के बीच अब इन दोनों में स्थिरता का रुख अगले पखवाड़े तक बने रहने की संभावना है।

अब और आगे नहीं होगी मुरमुरा और लाई की कीमत। अलबत्ता मंदी की धारणा जरुर व्यक्त की जा रही है। पहला साल है, जब मुरमुरा और लाई की क्वालिटी वाले मोटा धान में तेजी लगातार बनी हुई है। खरीदी कर रहीं मुरमुरा और लाई उत्पादन करने वाली इकाइयों का कहना है कि वह तो मकर संक्रांति की मांग ने बचा लिया अन्यथा उत्पादन घटाने या काम के घंटे कम करने का फैसला ले लिया जाता।

मिला सहारा संक्रांति का

2200 से 2300 रुपए क्विंटल। काफी तेज है धान की यह कीमत। ऐसी स्थिति में दीपावली पर 5300 क्विंटल पर लाई की खरीदी खुदरा बाजार ने की। समय गुजरने के बाद इसमें 300 रुपए की टूट के बाद बाजार 5000 से 5100 रुपए क्विंटल पर बोला जा रहा है। यही हाल मुरमुरा का भी है,जो 4700 क्विंटल पर स्थिर है। आसार, और टूट के थे लेकिन मकर संक्रांति की मांग ने मंदी की ओर जाते बाजार को रोक लिया।

पोहा को सहारा मौसम का

शीतकाल मध्य अवस्था में पहुंच चुका है। घरेलू मांग के साथ पोहा उपभोक्ता प्रांत महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश की भी मांग बनी हुई है। ऐसे में पोहा 3350 से 4200 रुपए क्विंटल पर मजबूत है लेकिन इकाइयों को पोहा क्वालिटी के महामाया धान की खरीदी पर अपेक्षाकृत ज्यादा रकम लगानी पड़ रही है। जबकि पोहा में डिमांड पूर्ववत स्तर पर ही है। ऊपर से गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे प्रतिस्पर्धी राज्य भी बाजार में बने हुए हैं।

धारणा धान में

पोहा और मुरमुरा व लाई क्वालिटी के धान की कीमत में रबी फसल की आवक तक मंदी के जरा भी आसार नहीं है क्योंकि समर्थन मूल्य पर ना केवल खरीदी की मात्रा बढ़ा दी गई है बल्कि खरीदी के दिन भी बढ़ाए जाने के संकेत मिल रहे हैं लिहाजा तेजी का सामना दीर्घ अवधि तक करना होगा इकाइयों को।

By MIG