लागत बढ़ी, राहत नहीं

घट रहा दूध का उत्पादन, बढ़ रही मांग



बिलासपुर। दही, मट्ठा और लस्सी। साथ में बढ़ रही है श्रीखंड और पनीर की मांग। दबाव दूध उत्पादक क्षेत्र पर पड़ने लगा है लेकिन बढ़ते तापमान और बदलते मौसम का असर दूध उत्पादन पर देखा जा रहा है। खबर 20 प्रतिशत उत्पादन घटने की आ रही है।

ग्रीष्म ऋतु की दस्तक और मौसम जिस तरह करवट बदल रहा है, उसका असर, दूध और दूध से बने सह-उत्पाद पर देखा जा रहा है। मांग में वृद्धि के रूप में यह असर डेयरियां देख रहीं हैं। कमजोर होता दूध का उत्पादन, आने वाले दिनों में मांग की तुलना में कमजोर आपूर्ति के रूप में देखा जाएगा। डेयरियां इसे निश्चित मान रहीं हैं।

दबाव इस पर

भाटापारा। बलौदा बाजार जिले का यह शहर प्रदेश में सर्वाधिक दूध उत्पादन के लिए जाना जाता है। लगभग 9 से 12 हजार लीटर दूध का रोजाना उत्पादन करने वाला यह शहर, न्यायधानी के साथ राजधानी को भी दूध की नियमित आपूर्ति करता है। इसे दूध की आपूर्ति बढ़ाने के लिए कहा जा रहा है।

घटा रहा उत्पादन

मांग का दबाव तो है। उत्पादन बढ़ाने के प्रयास भी जारी हैं लेकिन बदलता मौसम और बढ़ता तापमान इसमें बड़ी बाधा बन रहा है। रही-सही कसर रेडीमेड पशु आहार की रोज बढ़ती कीमत पूरा कर रही है। हरा चारा नहीं के बराबर है इसलिए मजबूरी में ही सही, रेडीमेड पशु आहार की खरीदी ऊंची कीमत देकर करनी पड़ रही है।

सहयोग नहीं

मवेशी मालिक और डेयरियों ने अपनी स्थितियों की जानकारी देते हुए दूध की कीमत में आंशिक बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा था, यह सोचकर कि उत्पादन लागत में आ रही बढ़ोतरी में मदद मिल सकेगी लेकिन बाजार ने यह कहकर इंकार कर दिया कि कारोबार ठंडा है। सहयोग की प्रतीक्षा अभी भी की जा रही है।

बढ़ रही इनकी मांग

गर्मी का मौसम चालू हो चुका है, इसलिए दही, मट्ठा और लस्सी की मांग बढ़ रही है। ऊपर से श्रीखंड और पनीर की भी मांग बढ़त लेती नजर आ रही है लेकिन प्राथमिकता दूध की नियमित मांग को पूरा करने पर है। इसमें भी मासिक उपभोक्ता पहले नंबर पर है लेकिन यह क्षेत्र भी ज्यादा दूध की मांग कर रहा है।