आ रही गुणवत्ता में कमी की खबर
बिलासपुर। अंदेशा सही रहा। परिपक्व महुआ टपक रहे हैं और भाव में गर्मी आने लगी है। एक सप्ताह के भीतर रिकॉर्ड 300 से 400 रुपये की तेजी भले ही संग्राहकों के लिए अच्छी मानी जा रही हो लेकिन होलसेल काउंटरों के लिए तगड़ा झटका माना जा रहा है।
मानक आकार से छोटा होगा महुआ। एक सप्ताह पहले व्यक्त किया गया आंकलन सही निकल रहा है। प्रति क्विंटल कीमत भी बढ़ेगी, यह धारणा भी सच निकल रही है। रोज शाम आते बादल और तेज हवा के साथ बारिश की बूंदों से अब महुआ संग्राहक हलाकान होते नजर आ रहे हैं क्योंकि मांगी जा रही गुणवत्ता, आ रहे महुआ में नहीं मिल रही है।

छोटा है महुआ
रोज शाम घिरते बादल। तेज हवाओं के साथ बारिश। यह सब मिलकर, तैयार होती महुआ की फसल पर कहर बरपा रहे हैं। हवा की गति के सामने नहीं टिक पा रहे अपरिपक्व फूल गिर रहे हैं। यह गुणवत्ता के लिए सही नहीं माना जा रहा। वजन अलग से कम आ रहा है।
निकली मांग उपभोक्ता राज्यों से
छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार। यह राज्य उत्पादक राज्य माने जाते हैं। झारखंड इसमें ऐसा राज्य है, जहां महुआ की फसल और खरीदी सबसे ज्यादा होती है। मौसम के प्रतिकूल होने के बावजूद झारखंड ने छत्तीसगढ़ से महुआ की खरीदी चालू कर दी है। मांग और आपूर्ति के बीच बन रहे असंतुलन के बाद कीमत में तेजी आने लगी है।

अब 3400 से 3500 रुपए
फूलों का छोटा आकार और वजन का कम निकलना जैसी स्थिति के बाद भी कीमत ने जैसी बढ़त ली हुई है उससे होलसेल मार्केट और स्टॉकिस्ट तो हैरत में हैं लेकिन संग्राहक खुश देखे जा रहे हैं। कारोबारी सप्ताह के पहले दिन महुआ में सौदे 3400 से 3500 रुपए क्विंटल पर हुए।
मजबूत खरीदी
फूलों का मानक आकार छोटा जरूर है लेकिन मजबूत खरीदी से कीमत में तेजी बनी हुई है।
– सुभाष अग्रवाल, एसपी इंडस्ट्रीज, रायपुर
फूल छोटे और काले
बेमौसम बारिश से महुआ की लगभग 90 प्रतिशत फसल चौपट हो चुकी है । जो 10 प्रतिशत फसल आ रही है, उसमें फूल छोटे एवं कालापन लिए हुए हैं ।
अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर