ट्रैफिक पुलिस की आंखें बंद, पालक और स्कूल प्रबंधन चुप
भाटापारा। यातायात पुलिस। नहीं करेगी फर्राटा भरती वाहनों पर कार्रवाई। बेफिक्र हैं स्कूलें इस ओर से, कि उनके छात्र बिना लाइसेंस कैसे दोपहिया वाहन चला रहे हैं ? इसलिए खुद को सुरक्षित रख कर चलना आपकी जिम्मेदारी है।
खानापूर्ति करती है हमारी यातायात पुलिस। स्कूल प्रबंधन से उम्मीद मत करिए कि वह दो पहिया लेकर आने वाले छात्रों पर रोक लगाएगा। स्कूल लगने और छूटने के समय ऐसे नजारे अब आम हो चले हैं। और जब ऐसे दृश्य देखने में आ रहे हों, तो दुर्घटनाओं का होना भी जरूरी हो जाता है।
यह क्षेत्र संवेदनशील
रेलवे स्टेशन से तरेंगा। इस मार्ग पर स्कूलों की संख्या अच्छी- खासी है। सारा दिन व्यस्त रहने वाला यह क्षेत्र, और क्षेत्र की सड़क स्कूल समय में यातायात के भारी दबाव में रहती है। सरकारी और निजी वाणिज्यिक संस्थानें भी इसी सड़क पर संचालित होती हैं। लिहाजा यातायात का दबाव कुछ ज्यादा ही होता है। इसलिए यह मार्ग बेहद संवेदनशील है।
नहीं मिलेंगे जिम्मेदार
भारी-भरकम है यातायात पुलिस का अमला लेकिन नजर नहीं आते जवान। वैसे उपस्थिति की उम्मीद नहीं करना चाहिए क्योंकि ‘बल कम हैं’ जैसे सदाबहार जवाब मिलते हैं। जब ऐसे जवाब मिलेंगे, तब यह उम्मीद करना भी व्यर्थ ही होगा कि कार्रवाई होगी। नतीजा नाबालिगों के तेज वाहन चालन के रूप में देखा जाता है।
हमारा काम नहीं
स्कूल प्रबंधनों का रवैया तो बेहद हताश करने वाला है। कैसे चला रहे हैं आपकी स्कूलों के बच्चे दोपहिया ? जैसे सवाल पर दो टूक जवाब ‘हमारा काम नहीं है यह देखना पालकों से पूछिए’। यानी यह दूसरा जिम्मेदार भी अपनी जिम्मेदारी से भाग रहा है।
संभलकर चलिए
जिस शहर में गैर जिम्मेदार ट्रैफिक पुलिस हों और लापरवाह स्कूल प्रबंधन, वहां संभावित दुर्घटना से बच कर रहना हमारी खुद की जिम्मेदारी हो जाती है। इसलिए हादसे से बचना है तो स्कूल टाइम के पहले या बाद में निकलें। जरूरी है आगे-पीछे और दाएं-बाएं देख कर चलना क्योंकि जिम्मेदारों ने आंख मूंद रखीं हैं।