डेढ़ गुना तेजी के बाद बाजार ठंडा
बिलासपुर। डेढ़ गुना तेजी के बीच चल रहे कलर पेपर बाजार में अब अच्छे दिन का इंतजार है, जो अगले बरस चुनाव की मांग के रूप में सामने आएगा। फिलहाल इकाइयां प्रचार सामग्री की छिटपुट मांग के बीच संचालन में हैं।
पहले कोरोना की मार से आहत हुआ। अब रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग से घायल है। कागज उत्पादन इकाइयां और प्रिंटिंग प्रेस का काम कर रही छोटी यूनिटें एक झटके में जमीन पर आ चुकी हैं क्योंकि उत्पादन के लिए जरूरी पल्प की कीमत रोज बढ़ रही है। इसके असर से कागज की उत्पादन लागत भी बढ़ रही है।

कागज गर्म
कागज उत्पादन के लिए प्रमुख कच्ची सामग्री पल्प का आयात बंद हो चुका है। वैश्विक मांग का 75 फ़ीसदी हिस्सा पूरा करने वाला यूक्रेन जंग में फंसा हुआ है। इसलिए अन्य देशों से पहुंच रहे पल्प के लिए ऊंची कीमत चुकानी पड़ रही है। पहला असर कागज की उस क्वालिटी पर पड़ा, जिसे कलर पेपर के नाम से जाना जाता है। फिलहाल यह 650 रुपए रिम पर मिल रहा है। तेजी के पहले यह 450 रुपए प्रति रिम पर मिल रहा था।
कीमत यह भी चुका रहे
कागज उत्पादन इकाइयों और प्रिंटिंग प्रेस यूनिटों के बाद, तेजी की कीमत ऐसे उपभोक्ताओं को भी चुकानी पड़ रही है, जो अपने उत्पादन के प्रचार के लिए पाम्पलेट प्रकाशित करवाते हैं। यह इसलिए क्योंकि प्रचार सामग्री की मात्रा सीमित होती है लेकिन श्रम ज्यादा लगता है।

अच्छे दिन अगले बरस
उपभोक्ता मांग का इंतजार कर रहीं कागज उत्पादन इकाइयां और प्रिंटिंग प्रेस यूनिटों को एक बरस का इंतजार और करना होगा। आने वाले बरस में चुनाव होने हैं और इन्हीं दिनों में मांग भी निकलनी है। बीच के दिनों में अच्छी मांग की संभावना नहीं है। इसलिए चुनाव के दिन का इंतजार किया जा रहा है। जब थोक में मांग निकलेगी।
ठंडा है कारोबार
कोविड के दिनों के बाद कागज उत्पादन और प्रिंटिंग यूनिटों के कामकाज में गति नहीं आ पाई है। पल्प की कीमत बढ़ने से पेपर की कीमत डेढ़ गुना बढ़ चुकी है। इसलिए मांग बेहद सीमित है।
– अनिल अग्रवाल, अंकुर प्रिंटर्स, बिलासपुर