कृषि उपज मंडियों, उपार्जन केंद्र, बस, रेलवे स्टैंड और अस्पतालों में जमकर लापरवाही
बलौदा बाजार। जरूरी है भीड़ वाली जगहों पर मास्क पहनना लेकिन कृषि उपज मंडी, धान उपार्जन केंद्र और अस्पतालों में इसे गैरजरूरी माना जा रहा है। हद तो तब, जब स्टेशन जैसे क्षेत्र में भी पालन को लेकर रुचि नहीं दिखाई जा रही हैं।
ओमीक्रॉन के बढ़ते खतरे को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्य सरकार ने भीड़ वाली जगहों पर मास्क अनिवार्य कर दिया है लेकिन जिस तरह इस एडवाइजरी को हल्के में लिया जा रहा है, वह लापरवाही को ही प्रदर्शित कर रहा है। पालन करने और पालन करवाने वाले भी मास्क और सेनीटाइजर को गैरजरूरी मान रहे हैं, उससे सवाल उठ रहा है कि जिम्मेदारी का भान हमें कब होगा ?
बड़ी लापरवाही यहां
हॉस्पिटल। निजी हों या सरकारी। दोनों जगहों पर आवाजाही पूरे दिन रहती है। संक्रमण का इलाज भी इन्हें ही करना होता है लेकिन बगैर मास्क के मरीजों के साथ स्टाफ को भी देखा जा रहा है। चेतावनी और सलाह देने वाले बोर्ड और फ्लेक्स लगे हुए हैं। इसके बाद भी ना मरीज मान रहे हैं, ना स्टाफ।

कृषि उपज मंडी और उपार्जन केंद्र
फसल की आवक के दिन हैं। इसलिए कृषि उपज मंडियों और धान उपार्जन केंद्रों में बड़ी संख्या में किसान आ रहे हैं। यहां भी एडवाइजरी ताक पर रखी जा चुकी है। निगरानी और जांच करने वाले जिम्मेदारों की मौजूदगी लगभग पूरे समय रहती है। इसके बावजूद सब कुछ “मेरी मर्जी” की तर्ज पर चल रहा है।
यात्रा बगैर मास्क
रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड। यह दोनों जगह गुलजार हैं, यात्रियों की भीड़ से। पालन करने और करवाने वालों ने जिस तरह मास्क से दूरी बनाई हुई है, उससे केवल एक ही बात जाहिर हो रही है कि हम नहीं सुधरेंगे। रही बात एडवाइजरी या गाईड लाइन की, तो मानना या नहीं मानना, मेरी मर्जी।

मांग शून्य
उम्मीद थी कि एडवाइजरी के बाद मास्क और सैनिटाइजर में मांग निकलेगी लेकिन खरीदी तो दूर पूछ-परख तक नहीं है, इन दोनों में। बताते चलें कि मेडिकल मार्केट अपनी तरफ से फौरन मांग पूरी करने के लिए तैयार है।