सरकार की एडवायजरी से पसरा सन्नाटा


बिलासपुर। मांग के दिन हैं लेकिन मांग नहीं है क्योंकि ओमीक्रॉन ने रास्ता रोक रखा है लिहाजा केक बाजार में सन्नाटा पसरा हुआ है। रही बात तैयारी और कीमत की, तो यह दोनों भी अंधेरे में ही हैं।

नया साल और केक के बीच गहरा नाता है लेकिन इस बार इसमें ओमीक्रॉन ने दरार डाल दी है। कोरोना के बीते दौर में गहरा नुकसान झेल चुकी केक उत्पादन इकाईयों में तैयारी की योजना बन ही रही थी कि ओमीक्रॉन की दस्तक और सरकार की एडवायजरी ने ब्रेक लगा दिया है।इससे यह क्षेत्र उतनी ही तैयारी की योजना बना रहा है, जितनी मांग होगी।

शून्य पर यह बाजार

बीते बरस की मांग और स्वाद के आधार पर तैयारी करने वाली केक उत्पादन इकाईयों में माहौल एकदम शांत है। छोटे और बड़े रिटेल काउंटर में पूछ-परख तो है लेकिन आर्डर नही है। इसलिए इकाइयों में कामकाज बेहद सुस्त गति से चल रहा है।बढ़त की उम्मीद जरा भी नहीं है क्योंकि नए साल के लिए जो आर्डर पखवाड़े भर पहले से पहुंचते थे, वह नहीं है।

अब केवल 24 घंटे का

महामारी के पहले तक रिटेल काउंटर में केक की मांग 2 दिन पहले से ही निकलती थी। अब वैसे दिन नहीं रहे। संक्रमण के बाद के दिनों में अब इसकी मांग केवल 24 घंटे पहले ही निकल रही है। मात्रा और यह संख्या तो बेहद हताश करने वाली ही मानी जा रही है। यही वजह है कि कच्ची सामग्री की कीमत बढ़ने के बाद भी केक की कीमत स्थिर बनी हुई है। तेजी की संभावना नहीं है।

गहरे संकट की ओर

हर शहर में केक बनाने वाली इकाईयों के संचालन में आने के बाद उपभोक्ताओं को सुविधा तो मिली है लेकिन नए स्वरूप में महामारी के संकेत से यह क्षेत्र गहरे आर्थिक संकट में आ गया है क्योंकि न्यूनतम 250 रुपए से लेकर 2000 रुपए तक की कीमत वाले किसी भी मूल्य वाले केक में मांग नहीं है। इसे आर्थिक संकट की ओर बढ़ता कदम माना जा रहा है।