न लिस्ट, न नोटिस, ऐसी है नगरपालिका
भाटापारा। अनदेखी कर रहा है पालिका प्रशासन ऐसे जर्जर भवनों की जिसे जनहित में तोड़ा जाना जरूरी माना जा रहा है। पालिका के स्वामित्व वाले कई भवन भी ऐसी ही स्थिति में पहुंच चुके हैं।
लापरवाही कहें या अनदेखी। नगर पालिका प्रशासन के अधिकार क्षेत्र में निवास कर रही आबादी क्षेत्र के कई ऐसे मकान हैं जिन्हें गिराया जाना आवश्यक हो चुका है क्योंकि इनकी स्थिति कभी भी गिर जाने जैसी हो चुकी है। भवन स्वामियों की लापरवाही के बाद जैसी अनदेखी, पालिका प्रशासन कर रहा है, वह कई सवालों को जन्म दे रहा है।
चिन्हांकन भी नहीं
अनहोनी का ही शायद इंतजार किया जा रहा है। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि निजी स्वामित्व वाले ऐसे कई मकान हैं जिनका चिन्हांकन और नोटिस जारी किया जाना फौरन जरूरी है। जानकारी में हैं ऐसे भवन, लेकिन जाने क्यों इस अहम और गंभीर काम से दूरी बनाई जा रही है।
हैं शासकीय भवन भी
पालिका प्रशासन के अधिकार क्षेत्र के भीतर कई ऐसे शासकीय भवन हैं जिन्हें भी फौरन तोड़ा जाना जरूरी है। इनमें शासकीय बहुउद्देशीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की प्रयोगशाला, मेन हिंदी स्कूल भवन का रसोईघर और पुराना बीईओ कार्यालय भवन। इसके अलावा कई और भी भवन हैं, जिन्हें तोड़कर नए स्वरूप दिए जाने की आवश्यकता है लेकिन यह भी नजर में नहीं है।
चल रही खींचतान
विकास। इसका तो नाम लेना मना है। सफाई। यह काम दिखावे भर के लिए हो रहा है। कर संग्रहण। बेहद जरूरी इस काम को लेकर भी गंभीरता नहीं है। केवल कुर्सी बचाने को लेकर ही गंभीरता दिखाई दे रही है पालिका में। जिस शहर के जनप्रतिनिधि लापरवाह होंगे, वहां का प्रशासन कैसा होगा ? यह सहज ही जाना जा सकता है।
