रूस-यूक्रेन जंग का असर
बिलासपुर। रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग की कीमत बाबूलाल, रामनारायण और देव को चुकानी पड़ रही है। मांग के दिन हैं, इसलिए यह तीनों भारी महंगाई का संदेश लेकर पहुंच रहे हैं। इसके बावजूद बाबूलाल की ना केवल पूछ-परख हो रही है बल्कि मांग के पहले क्रम पर बना हुआ है।
देश की कागज उत्पादन इकाइयां संकट में हैं। यह इसलिए क्योंकि जरूरी कच्चा माल, लुगदी का आयात यूक्रेन से बंद है। देश में नए साल की तैयारी कर रहीं कैलेंडर कंपनियों को इस स्थिति से निपटने में अच्छी-खासी जोर आजमाइश करनी पड़ रही है क्योंकि कागज कंपनियां पहले से ही रॉ-मटेरियल की कमजोर आपूर्ति के बीच काम कर रहीं हैं। लिहाजा नए बरस के स्थिति में ली जाने वाली तारीख के कैलेंडर की खरीदी पर इस बार 10 रुपए ज्यादा खर्च करने होंगे।

यूक्रेन से आयात बंद
कागज उत्पादन के लिए जरूरी लुगदी याने पल्प के लिए अपना देश यूक्रेन पर निर्भर है। रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग के बाद इसका आयात बंद हो चुका है। इसलिए देश में कागज बनाने वाली इकाईयां एक बरस से संकट के बीच संचालन में हैं। दूसरे मुल्कों से खरीदी महंगी पड़ रही है इसलिए घरेलू जरूरतों की पूर्ति के लिए कैलेंडर की कीमत बढ़ानी पड़ी है।
दिन आए मांग के
अपने देश में दिसंबर और जनवरी का महीना कैलेंडर की मांग के महीने माने जाते हैं। पहले से ही होलसेल डिमांड, निर्माण कंपनियों में पहुंचने लगती है। बीते बरस की भांति इस वर्ष भी यह मांग पहुंची लेकिन संकट इतना गहरा है कि सीमित आपूर्ति के बीच ऊंची कीमत पर खरीदी करनी पड़ी। अब यह रिटेल काउंटर तक पहुंच चुके हैं लेकिन मिलेंगे बढ़ी हुई कीमत पर।

बाबूलाल अव्वल
कागज की कीमतों में आई तेजी के बाद तारीख वाले कैलेंडर की कीमत प्रति नग 10 रुपए बढ़ चुकी है। इसलिए बाबूलाल 10 रुपए की तेजी के बाद 80 रुपए में मिलेगा। श्री देव पंचांग कैलेंडर 60 रुपए में मिलेगा। इसमें भी 10 रुपए की तेजी आई है। रामनारायण कैलेंडर भी 10 रुपए की बढ़त के बाद 70 रुपए में मिल रहा है। पहली बार छत्तीसगढ़ी भाषा में आया कैलेंडर ‘बछर’ के नाम से 52 रुपए में मिल रहा है।
डिमांड अच्छी
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की वजह से पल्प आयात बंद है। इसलिए कागज के दाम बढ़े हुए हैं। इसके असर से कैलेंडर की कीमत बढ़ी हुई है। बाजार में कैलेंडर की डिमांड अच्छी है।
– हिमांशु मिश्रा, संचालक, श्री महावीर पुस्तकालय, बिलासपुर