रेलवे साइकिल स्टैंड का निकल रहा दम



भाटापारा। चलती ट्रेन के दम पर चलने वाले रेलवे साइकिल स्टैंड का दम निकलता नजर आ रहा है। वजह यह है कि स्टैंड में आने वाली वाहनों की संख्या में अभी भी 25 से 30 फ़ीसदी की कमी देखी जा रही है।

रेलवे साइकिल स्टैंड। यह क्षेत्र उम्मीद नहीं करता रेल प्रशासन से, कि ध्यान दिया जाएगा। जनप्रतिनिधियों से तो भरोसा पूरी तरह टूट चुका है। उम्मीद वाहन मालिकों से ही है लेकिन बड़ी बाधा रद्द होने वाली ट्रेनें बन रहीं हैंं। रही-सही कसर लोकल और पैसेंजर ट्रेनों की बढ़ी हुई टिकट दरें पूरी कर रही है।

इनका था मजबूत सहारा

लोकल और पैसेंजर ट्रेन। छोटी दूरी के लिए यह सहारा है, उनके लिए जो निम्न आय वर्ग के यात्रियों के रोजगार का जरिया बनती थी। इनकी टिकट दरें अभी भी एक्सप्रेस ट्रेन की टिकट दरों जैसी ही हैं। इसलिए यात्रियों की एक बड़ी संख्या ने अभी भी दूरी बनाई हुई है। फर्क रेलवे साइकिल स्टैंड में पड़ रहा है, जहां साइकल अब नजर नहीं आती।

परिवर्तित मार्ग और रद्द

यात्री सुविधाएं बढ़ाने का ढिंढोरा पीटने वाला रेल प्रशासन कभी भी यात्री ट्रेन कैंसिल कर दे रहा है। इसके अलावा यह परिवर्तित मार्ग से ट्रेनें चलाने की घोषणा कर देता है। यह दूसरी ऐसी बड़ी वजह है, जिससे रेलवे साइकिल स्टैंड के सामने कई तरह की परेशानियां खड़ी हो रहीं हैं। कब सामान्य दिनों की तरह परिचालन में आएंगी यात्री ट्रेनें ?

400 पर स्थिर

महामारी के पूर्व प्रतिदिन 600 से ज्यादा वाहन की आवाजाही देख चुके रेलवे साइकिल स्टैंड में यह संख्या 400 से ऊपर नहीं जा पा रही है। मंडल रेल प्रबंधक आए थे। साथ में सांसद भी थे, समस्या बताई गई। पूरी क्षमता से नियमित परिचालन की मांग रखी। सदाबहार जवाब-पूरी कोशिश करेंगे।