बिहार और झारखंड ने बनाई छत्तीसगढ़ से दूरी

रायपुर। 2 राज्यों से सीधा मुकाबला। छत्तीसगढ़ के सामने यक्ष प्रश्न है कि अपने परंपरागत खरीददार को अपने लिए कैसे सुरक्षित रखा जाए ? इस बीच भाव ने गोता लगाना चालू कर दिया है। इसमें 300 रुपए की टूट अब तक आ चुकी है। इसमें और गिरावट के प्रबल आसार बनते नजर आ रहें हैं।

जी हां, बात हो रही है उस महुआ की, जिसे पहली बार समर्थन मूल्य की सूची में शामिल किया गया है। इससे संग्राहकों में उत्साह बढ़ा और भारी मात्रा में महुआ की खरीदी हुई, लेकिन ओपन मार्केट में हताशा का माहौल बन चुका है क्योंकि सीजन के दिनों में खरीदी के लिए अधिक पूंजी लगानी पड़ी। अब हालात इस कदर नाजुक हो चुके हैं कि इस बाजार के सामने अपने परंपरागत खरीदी क्षेत्र को बचाकर रखने का संकट खड़ा हो चुका है क्योंकि उसे मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से कड़ी टक्कर मिल रही है। यह इसलिए क्योंकि इन दोनों राज्यों में भी इस बरस महुआ की रिकॉर्ड फसल हुई है। फलस्वरुप कीमत लगातार टूट रही है।

प्रतिस्पर्धा इन राज्यों से

पड़ोसी मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में इस बरस महुआ के रिकॉर्ड फसल हुई है। इस परिस्थिति की वजह से यह दोनों राज्य, उपभोक्ता मांग वाले राज्यों की तलाश में थे। रिकॉर्ड फसल की वजह से कीमत टूटी और उपभोक्ता मांग में अचानक उछाल आई। इसका लाभ महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश को मिला। अब यह दोनों, छत्तीसगढ़ के परंपरागत खरीदी क्षेत्र को अपने पाले में लाने की कोशिश में हैं। इसमें सफलता भी मिल रही है क्योंकि छत्तीसगढ़ की फसल की कीमत के लिहाज से उनकी फसल की कीमत कम ही है।उपभोक्ता मांग यहां से

उपभोक्ता मांग यहां से

बिहार, झारखंड और उड़ीसा, देश में ऐसे तीन राज्य हैं, जहां महुआ की सबसे ज्यादा खपत होती है। यह तीन प्रदेश छत्तीसगढ़ के परंपरागत खरीदी करने वाले राज्य हैं। इनमें उड़ीसा की खरीदी कमजोर है क्योंकि इसके यहां भी महुआ की फसल का बेहतर होना बताया जा रहा है। बचे दो राज्य झारखंड और बिहार ने छत्तीसगढ़ की बजाय मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से महुआ की खरीदी को प्राथमिकता देना चालू कर दिया है क्योंकि कीमत छत्तीसगढ़ की तुलना में काफी कम है।

संकट में छत्तीसगढ़

समर्थन मूल्य पर महुआ की खरीदी की व्यवस्था के बाद पहले से ही बढ़ी हुई कीमत पर खरीदी कर चुके छत्तीसगढ़ के ओपन मार्केट के सामने अपनी उपज बेचने के लिए जैसी स्थितियां बन चुकी हैं, उसने पूंजी संकट को एक तरह से न्योता दे दिया है। यह इसलिए क्योंकि ऊंची कीमत पर खरीदी के लिए जो पूंजी लगाई गई है, उसकी वापसी अंधेरे में ही है। इसलिए 3000 से 3200 रुपए क्विंटल पर सौदे लिए जा रहें हैं लेकिन कारोबारी माहौल इसके बाद भी ठंडा ही है। संकेत और गिरावट के बने हुए हैं।

उपभोक्ता मांग का प्रवाह मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की ओर है। इससे छत्तीसगढ़ के सामने संकट ही है। इसलिए कीमतों में गिरावट का रुख बना हुआ है।

सुभाष अग्रवाल, संचालक, एसपी इंडस्ट्रीज, रायपुर