दाल और पोहा मिलों के संचालन बंद होने से लॉकडाउन जैसे हालात

भाटापारा। खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों में तालाबंदी के बाद, अब धर्मकांटा परिसरों में अंधेरा पसरता नजर आने लगा है। लॉकडाउन के बेहद करीब पहुंच चुके, इस छोटे से क्षेत्र को पोहा और दाल मिलों से ही प्राणवायु मिला करती थी। दूसरे पखवाड़े में पहुंच गए तालाबंदी के बाद यह संकट इस कदर गहरा गया है, जो कब दूर होगा ? जैसे सवालों के बीच इसका ओर- छोर नजर नहीं आ रहा है।

मंडी टैक्स की बढ़ी हुई दर जब तक वापस नहीं ली जाती, तब तक खरीदी नहीं कर सकेंगे। एक लाइन के इस फैसले के बाद पहला असर उस धर्मकांटा पर पड़ चुका है जिसे ऑक्सीजन इन इकाईयों से ही मिला करती थी। मिलों में तालाबंदी के फैसले के बाद धर्मकांटा का छोटा सा परिसर अब सन्नाटा का सामना कर रहा है। पूरा दिन भारी वाहनों का इंतजार, फिर घर वापसी। दूसरी सुबह अच्छी खबर की आस में निकल रही है, लेकिन पखवाड़ा बीता। दूसरा पखवाड़ा चालू हो चुका है, अच्छी खबर अब तक नहीं।

80 फ़ीसदी की कमी

शहर में दर्जनभर से ऊपर की संख्या में धर्मकांटा स्थापित हैं। खोखली, सूरजपुरा और शहरी क्षेत्र में संचालित ये सभी धर्मकांटा सांसत में हैं क्योंकि पोहा और दाल मिलों में तालाबंदी की स्थिति बनी हुई है। बीते 20 दिन से वाहन की राह देखता, यह क्षेत्र 80 फ़ीसदी काम से हाथ धो चुका है। गिरावट का यह आंकड़ा बढ़त की ओर ही जाता दिखाई देता है।

20 फ़ीसदी में इनका साथ

कोढ़ा, दलहन पाउडर, भूसा के लिए हड़ताल के पहले के आर्डर पर आ रही वाहनों के दम पर 20 फ़ीसदी काम चल रहा है। रोज के खर्च के लायक रकम के लिए तरसते धर्मकांटा को यदि राहत नहीं मिली, तो सांस उखड़ती देर नहीं लगेगी। किराए पर चलाए जा रहे धर्मकांटा का हाल तो और भी खराब है। चिंता यह है कि किराया कैसे पटाया जाएगा क्योंकि महीना बीतने का दिन करीब आ चुका हैं।

संकट में यह भी

ग्राम खोखली में इस समय दो और धर्मकांटा निर्माणाधीन है। अंतिम चरण में पहुंच रहे इन दोनों पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं क्योंकि पोहा और दाल मिलों की तालाबंदी यदि आगे भी जारी रही, तो निर्माण और संचालन की पूरी प्रक्रिया बाधित हो सकती है। इसके अलावा बन रही योजना पर रोक की खबर भी आने लगी है।