मंडी टैक्सः प्रशासन और मिलों की बैठक असफल
भाटापारा। मंडी टैक्स में वृद्धि के विरोध में पोहा और दाल मिलों की खरीदी आगे भी बंद रहेगी। प्रशासन और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की संयुक्त बैठक में सुलह और समझाइश के प्रयास काम नहीं आए। इस तरह 15 दिन से बना गतिरोध, आगे भी बने रहने के प्रबल आसार बन चुके हैं।
मंडी टैक्स की दरों में वृद्धि के विरोध में कृषि उपज मंडी में बीते 14 दिनों से यूनिटों ने नीलामी से खुद को अलग किया हुआ है। इससे प्रशासन की परेशानी बढ़ती जा रही है और उन किसानों में भी हताशा है जो मंडी के नियमित संचालन की राह देख रहे हैं। हालांकि बैठक के पहले प्रशासन ने हर संभव प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं मिली। लिहाजा रविवार को अभिकर्ता, मिलर्स और प्रशासन के बीच संयुक्त बैठक ली गई, जो असफल रही।
छाया रहा टैक्स वृद्धि का मुद्दा
एसडीएम लवीना पांडे, मंडी सचिव एस के चौरे के नेतृत्व में रविवार की दोपहर को मंडी अभिकर्ता, राइस मिल , दाल मिल और पोहा मिल एसोसिएशन की संयुक्त बैठक हुई। इसमें खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों में से, चावल मिलों ने तो नीलामी में भाग लेने पर स्वीकृति दी लेकिन पोहा और दाल मिलों ने व्यावहारिक दिक्कत का हवाला देते हुए नीलामी में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया।
बताई दिक्कत
पोहा और दाल मिलों ने मंडी टैक्स में वृद्धि को अनावश्यक बताया और कहा कि इस दर पर टैक्स दिए जाने से उत्पादन लागत तो बढ़ेगी ही, साथ ही पहले से ही प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहीं इकाइयों को और भी ज्यादा प्रतिस्पर्धा के दौर का सामना करना होगा। यूनिटों ने उपभोक्ता मांग में कमी आने की आशंका का भी हवाला दिया।
नहीं कर पाएंगे खरीदी
बैठक में सुगंधित धान से चावल बनाने वाली यूनिटों ने नीलामी में हिस्सा लेने पर सहमति दी लेकिन पोहा और दाल मिलों ने स्पष्ट शब्दों में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि मंडी टैक्स में वृद्धि पूरी तरह अव्यावहारिक है। लिहाजा वह नीलामी में हिस्सा नहीं ले सकेंगे। इस तरह यह साफ हो गया कि मंडी संचालन में गतिरोध आगे भी बना रहेगा।