ठेलों पर, खान-पान बनाने और बेचने वालों के लिए फूड एंड सेफ्टी का फरमान
बिलासपुर। करवाना होगा रजिस्ट्रेशन, अन्यथा नहीं बेच पाएंगे गुपचुप, चाट, मुरमुरा और अन्य खान-पान की सामग्री। संक्रमण के दौर में खाद्य एवं औषधि प्रशासन, बहुत जल्द ठेलों में बिक रही खाद्य सामग्रियों की जांच की तैयारी में है। इसमें सबसे पहले रजिस्ट्रेशन नंबर पूछा जाएगा। नहीं मिलने की स्थिति में नियमों के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी ।
महामारी के दौर में खान-पान और सेहत को लेकर जैसी जागरूकता बढ़ी हुई है, वैसी ही अपेक्षा, खान-पान की सामग्री बनाने और बेचने वालों से भी की जा रही है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन की तैयारियां यह बता रहीं हैं कि पर्व और त्यौहार का दौर खत्म होने के बाद अब ऐसे कारोबार को भी जागरूकता दिखानी होगी, जो ठेलों में खाद्य सामग्री बनाने और विक्रय के कारोबार से जुड़े हुए हैं। वजह सिर्फ यही है कि यही क्षेत्र सबसे ज्यादा लापरवाही दिखा रहा है।
निशाने पर गुपचुप ठेले
खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने अपनी, पिछली जांच में यह पाया है कि भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के नियमों की सबसे ज्यादा अवहेलना यही क्षेत्र कर रहा है। शहर ही नहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में लगने वाले गुपचुप- चाट के ठेले, ना तो स्वच्छता को लेकर गंभीर हैं, ना ही सुरक्षा की ओर ध्यान दे रहे हैं। ऐसी ही स्थिति मसाला- मुरमुरा ठेलों का भी है। इससे जुड़े दूसरे खाद्य सामग्री बेचने वाले ठेलों का भी हाल छिपा नहीं है।
यह भी कम नहीं
शीत ऋतु ही नहीं, अब हर मौसम में अंडा, आमलेट और बिरयानी मिलते हैं। गुपचुप के बाद यह दूसरा ऐसा क्षेत्र है, जहां नियम हर पल टूटते हैं। अंधेरा घिरते ही देर रात तक चलने वाले ठेले, ना तो प्रशासन को नजर आते, ना कानून व्यवस्था बनाने वालों को दिखाई देता है। ऐसे में अन्य निगरानी एजेंसियों की स्थिति सहज ही जानी जा सकती है। इसलिए ठेलों पर चलने वाला यह कारोबार, नियम तोड़ने में दूसरे स्थान पर मजबूती से जमा हुआ है।
यहां सब बेफिक्र
बूंदी, बूंदी के लड्डू, मसूर पाक, सलोनी, मिक्चर, जलेबी ,समोसा, यह जहां बनते हैं, उसी के दूसरे किनारे पर बेचे भी जाते हैं। छोटी सी जगह पर निर्माण और विक्रय हैरत में डालता है कि उपभोक्ताओं की सेहत को लेकर यह कारोबार, किस कदर बेफिक्र है। अपनी और उपभोक्ताओं की सुरक्षा को लेकर जैसी लापरवाही दिखाई जा रही है ,उसे देखकर अब खाद्य एवं औषधि प्रशासन के तेवर सख्त हो चले हैं। संकेत कभी भी कड़ी कार्रवाई के मिल रहे हैं।
इन पर कार्रवाई तय
हर चार कदम पर मिलेगी पान की दुकानें। नियम के मुताबिक, अब इन्हें भी जवाबदेह बनना होगा और करवाना होगा अपनी दुकान का पंजीयन। तब ही बेच पाएंगे, पान और पान मसाला। प्रशासन ने ठेलों में होने वाले इस कारोबार को स्वास्थ्य के लिहाज से सबसे संवेदनशील कारोबार माना है। इसलिए पान की दुकानों की जांच, अपेक्षाकृत कड़ी हो सकती है।
प्रतिबंध, फिर भी नहीं मानते
खान-पान की सामग्रियों को अखबार के टुकड़ों में दिए जाने पर, प्रशासन ने 5 साल पहले से ही प्रतिबंध लगाया हुआ है। लेकिन न पान दुकानें मान रहीं हैं, न मुरमुरा बेचने वाले। आमलेट बनाने व बेचने वाले तो बेफिक्र हैं क्योंकि इस क्षेत्र में भी कभी कार्रवाई होते देखा नहीं गया है। ऐसी संस्थानें या ठेले, शायद ही मिलेंगे, जहां अखबार के टुकड़ों में सामग्रियां नहीं दी जाती।
अनिवार्य हुआ रजिस्ट्रेशन
लापरवाही और नियमों के खिलाफ कारोबार कर रहे ऐसे ठेला संचालकों को अब खाद्य एवं औषधि प्रशासन के कार्यालय में आवेदन देकर रजिस्ट्रेशन नंबर लेना होगा। तब ही ठेला पर कारोबार की अनुमति मिलेगी। जांच में यह नंबर नहीं मिले, या मानक का पालन नहीं होता पाया गया तो कठोर कार्रवाई की जाएगी।
ठेलों पर खान-पान की सामग्री बनाने और बेचने वाले कारोबारियों के लिए रजिस्ट्रेशन नंबर अनिवार्य किया जा चुका है। समय रहते औपचारिकता पूरी करते हुए, यह नंबर लेना होगा। जांच में यदि सब कुछ सही नहीं मिला तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
- डॉ आर के शुक्ला, असिस्टेंट कमिश्नर, खाद्य एवं औषधि प्रशासन, रायपुर