उछल रहा बताशा भी

भाटापारा । सीजन आ गया है। मांग निकल रही है। डेढ़ बरस से जमीन पर ठहरा हुआ “लाई” अब तेजी की नई कीमत के साथ होलसेल मार्केट में पहुंच रहा है। इधर शक्कर में रोज बढ़ती कीमत की वजह से बताशा भी उबाल लेता नजर आता है।

लाई, वैसे तो पूजा और प्रसाद के लिए पूरे साल खरीदी जाती है लेकिन सीजन केवल दीवाली को ही माना जाता है। बीते 18 महीने से कोरोना में महामारी के बीच दूसरे कारोबार और उद्योग धंधों पर असर पड़ा वैसा ही असर लाई पर भी देखने में आया। लाई, इसलिए सबसे ज्यादा प्रभावित हुई क्योंकि मांग और बाजार का सीजन केवल दीपावली पर ही रहता आया है। संक्रमण के चालू दौर में रियायत के बाद जमीन पर आ चुकी लाई, अब तैयार है, दीपावली पर पूजा घरों में पहुंचने के लिए।


इस कीमत पर

दीपावली के लिए फुटकर कारोबारियों की मांग गति पकड़ने लगी है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र की भी दुकानों से मांग निकल रही है। सीमित उपलब्धता और भरपूर मांग के बाद तेजी की स्थिति बन चुकी है। ऐसे में होलसेल मार्केट में 4300 से 4500 रुपए क्विंटल की कीमत पर लाई की पहुंच बन रही है। रिटेल काउंटर में प्रति किलो कीमत 50 से 60 रुपए के आसपास बताई जा रही है।


क्वालिटी धान की सप्लाई शार्ट

लाई उत्पादन के लिए जरूरी सफरी धान का रकबा कम हो चुका है। ऐसे में राजिम और महासमुंद जैसे उत्पादक क्षेत्र से सफरी धान की खरीदी की जा रही है। यूनिटों तक पहुंच की राह में कई तरह के खर्च और सफरी की तेजी लेती हुई कीमत का असर लाई की खरीदी पर भी दिखाई देता है। सीजन ने दस्तक दे दी है, इसलिए यह तेजी आने वाले दिनों में भी बने रहने की पूरी संभावना है।


बताशा भी दिखा रहा है तेवर

शक्कर में त्यौहारी मांग निकल रही है। ऐसी स्थितियों में बताशा बनाने वाले छोटे उद्योगों को ऊंची कीमत पर शक्कर की खरीदी करनी पड़ रही है। कोरोना के कहर से उबरता बाजार, मांग के दबाव में है। ऐसे में बताशा की कीमत भी तेजी ले रही है। इस समय इसकी पहुंच 80 से 100 रुपए किलो में होने की खबर है। तेजी की आशंका बनी हुई है।