ढाई गुना आई तेजी कबाड़ में
भाटापारा। घर की साफ-सफाई में बेकार या कबाड़ हो चुकी सामग्रियां पहली बार अच्छी कीमत दे रहीं हैं। हैरत तब होती है जब अनुपयोगी कॉपी-किताब और रद्दी पेपर, ढाई गुनी ज्यादा कीमत पर कबाड़ कारोबार में पहुंचता हुआ दिखाई देता है।
कोरोना संक्रमण के दौर में दूसरे बरस आने वाली दीपावली के पहले, घर-दुकान की सफाई जोर पकड़ने लगी है। इसी के साथ शुरू हो चला है पुराने सामानों की विदाई का सिलसिला। आगत पर्व के मद्देनजर निकाली जा रही वेस्ट हो चुकी यह सामग्रियां दोगुनी मात्रा में कबाड़ कारोबार में पहुंच रहीं हैं। इसलिए यह क्षेत्र, इस बरस, बेहतर समय को लेकर भरपूर उम्मीद में है।
लोहा हुआ लाल
कबाड़ कारोबार का क्षेत्र, होलसेल मार्केट में भरपूर मांग निकलने से हैरत में है। ढाई गुना तेजी के बाद पुराना लोहा या उसका कबाड़ 33 रुपए किलो में खरीदा जा रहा है। इसमें छड़, पाइप तो हैं ही, साथ में फावड़ा, खुरपी, गैंती जैसी वह सामग्रियां भी हैं, जो खेती किसानी के अलावा घरेलू उपयोग में अहम स्थान रखती हैं।
प्लास्टिक 17 से 20 रुपए
लॉकडाउन। व्यावसायिक गतिविधियों के संचालन पर बंदिश। जैसे शब्द अब सुने नहीं जा रहे, इसलिए पुराने सामान की जगह, नए सामान ले रहे हैं। इन्हें भी स्थिति देखकर 17 से 20 रुपए किलो की कीमत दी जा रही है। मालूम हो कि लोहे के बाद प्लास्टिक ऐसी दूसरी सामग्री है जिसकी कीमत ढाई गुना बढ़ चुकी है।
खुश कर रहा कार्टून
अनुपयोगी हो चुकी कॉपी- किताब और रद्दी पेपर 12 रुपए किलो में खरीदी जा रही है, तो नए सामान के साथ आ रहा कार्टून, खाली होने के बाद खुश कर रहा है क्योंकि कबाड़ बाजार, इसके लिए 16 रुपए किलो की नई कीमत दे रहा है। यदि हालत एकदम सही रही तो 20 रुपए किलो तक की कीमत दी जा रही है।
यह भी खूब
शेड का रूप- रंग बदलना है। इसके लिए नए टीन की जरूरत होगी। पुराने हो चुके टीन ,पहली बार नए की खरीदी करने पर भरपूर मदद कर रहे हैं। पुराने टीन की दर 25 रुपए किलो पर जा पहुंची है। अब बारी है रसोई घर की। पुराने बर्तनों में पीतल के बर्तन को 300 रुपए किलो में बेचा जा सकता है तो एल्युमिनियम के अनुपयोगी सामान पर कबाड़ बाजार 100 रुपए किलो की दर पर भुगतान करेगा। कॉपर की सामग्री हुई तो किलो पीछे 550 रुपए मिलेंगे।