मंदिरों के पट खुलने से फूल बाजार में रौनक

बिलासपुर। कोरोना काल में मांग के लिए तरसते फूल बाजार में अब, रौनक नजर आने लगी है। डेढ़ बरस बाद खुले देवी मंदिरों के पट के बाद, नवरात्रि की मांग निकलती दिखाई देती है।ऐसे में गेंदा, सेंवती,गुलाब और कमल पर मांग का हल्का दबाव देखा जा रहा है।

नवरात्रि, फूल बाजार के लिए संजीवनी बनकर आई है। रियायतों के दिए जाने का सिलसिला धीरे-धीरे विस्तार लेता नजर आ रहा है। यह सिलसिला बाजार, उपभोक्ता और जन-जीवन के लिए राहत ही कहा जा रहा है क्योंकि 18 महिने से थमे हुए फूल बाजार को फिर से उन्मुक्त माहौल में सांस लेने का मौका मिला है। पिछले बरस हुए नुकसान की भरपाई तो संभव नही है लेकिन उबरने के लिए अवसर का पिटारा खुलने लगा है।


शिखर पर गेंदा

फूल बाजार में हमेशा से शिखर पर रहने वाला गेंदा अपनी जगह पर बरकरार है।महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में भरपूर उत्पादन से भाव भी स्थिर बने हुए हैं।इसके अलावा लोकल उत्पादक भी बाजार में पहुंच बना चुके हैं।इसलिए गेंदा का फूल 100 से 120 रूपये किलो पर ठहरा हुआ है।जबकि माला में 20,50 और 100 रूपये की दरें बताई जा रहीं है।


शॉर्टेज कमल की

देवी मंदिरों में ज्योति कलश की स्थापना के साथ कमल के फूल की मांग बढ़ चुकी है। लोकल तालाबों में अंतिम दौर पर पहुंच चुके कमल निकाले तो जा रहे हैं लेकिन मांग और आपूर्ति के बीच गहरे अंतर से इसकी कीमत 10 और 20 रुपए प्रति नग बोली जा रही है। इसलिए आगत दीपावली को देखते हुए बिहार और झारखंड से संपर्क साधने की तैयारी है।


जसवंत पहली बार दो रुपए में

जसवंत के फूलों का अलग ही महत्व है पूजा के मौके पर अनिवार्यता जैसी स्थिति के बाद नवरात्रि के लिए भक्तों की मांग इसमें बन चुकी है। कमजोर उत्पादन और सीमित उपलब्धता की वजह से इसे दो रुपए प्रति नग की दर पर बेचा जा रहा है। इसमें यह तेजी आगे भी बनी रहने की संभावना बरकरार है क्योंकि फिलहाल तो पूरी नवरात्रि मांग का दबाव रहेगा।


गुलाब और सेवंती भी मांग में

पूरे साल बिकने वाला गुलाब अब 5, 10 और 20 रुपए प्रति नग की दर पर उपलब्ध हो चुका है। रजनीगंधा की खरीदी 350 रुपए किलो पर की जा रही है, तो सेवंती में भाव काफी गर्म है। सीमित आवक के बीच यह 250 से 500 रुपए किलो की दर पर उपभोक्ताओं तक पहुंच बनाए हुए हैं। मोगरा और आर्किड की मांग तो है लेकिन मात्रा बेहद सीमित है।