संकट में संग्राहक, स्टॉकिस्ट और निर्यातक

बिलासपुर । संग्रहण से किनारा करते संग्राहक, चीन को एक्सपोर्ट बंद, असर स्टॉकिस्ट और निर्यातक पर दिखाई देना चालू हो चुका है, टूटते बाजार के रूप में परेशान चरौटा बाजार, विदेश व्यापार मंत्रालय तक दौड़ लगाने की तैयारी में है क्योंकि भारतीय चरौटा की खरीदी करने वाला सबसे बड़ा देश चीन ही है ।

कोरोना महामारी के चलते दूसरे बरस भी चरौटा का कारोबार पटरी पर लौट नहीं सका है। भारतीय चरौटा का सबसे बड़ा खरीददार देश चीन ने इस बरस निर्यात की अनुमति अभी भी नहीं दी है । ऐसे में यह क्षेत्र गंभीर संकट का सामना कर रहा है। वैसे ताइवान, मलेशिया और जापान भी इसकी खरीदी करते हैं लेकिन निर्यातक की पहली प्राथमिकता चीन ही रही है। जिसने अभी तक भारतीय चरौटा के लिए अपने बाजार नहीं खोले हैं ।

संग्राहक हो रहे दूर

मांग नहीं होने के बाद निर्यातक और स्टाकिस्टों ने खरीदी बेहद सीमित कर दी है । टूटते भाव के बाद, असर को देखते हुए संग्राहकों ने चरौटा संग्रहण से किनारा करना चालू कर दिया है हैं। बीते बरस कोरोना की मार से आहत ,यह बाजार फिर से खड़ा होने की कोशिश में है लेकिन कुछ और भी वजहें इस कोशिश में बाधा बन रही हैं।

मैदान में अब यह भी

चीन को निर्यात किए जाने वाले चरौटा में
अब मध्यप्रदेश और राजस्थान से छत्तीसगढ़ को कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है । निर्यातक देशों द्वारा की जाने वाली खरीदी में इन दोनों राज्यों के चरौटा को कुछ ऊंची कीमत मिलती रही है क्योंकि दानों का आकार, गुणवत्ता के मानक को पूरा करता है । लिहाजा अपना छत्तीसगढ़ नई परेशानी का सामना कर रहा है।

चीन की खरीदी बंद

भारत और चीन के गिरते-संभलते रिश्ते के बाद चीन को भारतीय चरौटा का एक्सपोर्ट पूरी तरह बंद हो चुका है । बीते बरस का बंपर स्टॉक और नई फसल की स्थिति को देखते हुए निर्यातक, विदेश व्यापार मंत्रालय से संपर्क के प्रयास में हैं ताकि निर्यात का बंद दरवाजा फिर से खोला जा सके । मालूम हो कि चीन के अलावा ताइवान, मलेशिया और जापान को भी देश से चरौटा का निर्यात होता रहा है लेकिन अपने राज्य के कारोबारी, चीन को निर्यात में प्राथमिकता देते रहे हैं क्योंकि उत्पादन का लगभग 75 फ़ीसदी हिस्सा की खरीदी यही देश खरीदी करता रहा है ।

ऐसे हैं भाव

प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच इस बरस , प्रदेश में चरौटा का उत्पादन , अपने बीते साल का रिकॉर्ड तोड़ सकता है । अंबिकापुर, जशपुर, गरियाबंद और धमतरी का उत्पादन हमेशा से बेहतर रहा है l इस बरस भाव 2200 से 2300 रुपए क्विंटल के आसपास आकर ठहरा हुआ है। हल्की मंदी के बीच चल रहा यह बाजार, चीन को निर्यात शुरू होने की राह देख रहा है।

भारतीय चरौटा के सबसे बड़े खरीददार देश, चीन से निर्यात के आर्डर अभी तक नहीं मिले हैं । भाव में हल्की मंदी बनी हुई है। आगत फसल की स्थिति बीते साल से काफी अच्छी है ।

सुभाष अग्रवाल, संचालक, एसपी. इंडस्ट्रीज, रायपुर