भाव में 25 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा
भाटापारा। पर्व और त्यौहारों पर मिली रियायत के बाद राखी का बाजार तैयार होने लगा है। परंपरागत और फैंसी राखियों की कीमत में 25 फ़ीसदी तेजी के बाद भी, पूछ-परख और मांग निकल चुकी है। बीते बरस हुए नुकसान की भरपाई तो संभव नहीं है लेकिन कुछ हद तक पूरा कर लेने की उम्मीद में चल रहा है यह बाजार।
बीते बरस लॉक डाउन की वजह से रक्षाबंधन के त्यौहार में ग्रहण लग चुका था। इस बरस हालात बदले-बदले से हैं। रियायत और छूट के बाद राखियों की दुकानें सजने लगी है। पूछ- परख और खरीदी- बिक्री भी चालू हो चुकी है। कच्ची सामग्री की खरीदी में निर्माण इकाइयों को अच्छी- खासी रकम लगानी पड़ी, इसलिए कीमतों में 25 फ़ीसदी वृद्धि हो चुकी है। फिर भी पूछ- परख और मांग दोनों निकल रही है।
यह हुई महंगी
बीते बरस से कोरोना के ग्रहण के बाद दिल्ली, कोलकाता और इंदौर के अलावा प्रदेश की राखी बनाने वाली इकाइयों में ताला लगा हुआ था। इस बार रियायत के बाद एक साल से लगा ताला अब खोला जा चुका है। ऐसे में ऊंची कीमत पर कच्ची सामग्रियों की खरीदी करनी पड़ी। इसलिए इकाइयों को इसकी लागत बढ़ानी पड़ी। बाजार सूत्रों की मानें तो लगभग 25 फ़ीसदी की गर्मी, राखियों की कीमत में आ चुकी है।
दोनों किस्म में मांग
परंपरागत राखी के अलावा फैंसी राशियों में मांग का प्रतिशत लगभग समान है, लेकिन जैसी खरीदी हो रही है, उसे देखते हुए मानकर चला जा रहा है कि विक्रय का प्रतिशत परंपरागत राखियों में ज्यादा जा सकता है क्योंकि इसमें ग्रामीण क्षेत्र पहली बार दिलचस्पी दिखा रहा है। गांव- देहात की दुकानों की मांग भी ऐसी ही राखियों में ज्यादा दिखाई देती है।
यह सदाबहार
घर के मुख्य द्वार, दुकानों, वाहनों और जरूर सामग्रियों में बांधी जाने वाली पूजा राखियों की खरीदी में मांग का प्रतिशत काफी बढ़ा हुआ है। आने वाले दिन और समय, आज से बेहतर रहें, इस प्रार्थना के साथ बांधी जाने वाली ऐसी पूजा की राखियां इस बार 10 से 20 रुपए बंडल की कीमत में मिलेंगी।
राखियों की सभी किस्मों में कीमत 25 फ़ीसदी बढ़ी हुई हैं। जिस तरह पूछ- परख और खरीदी हो रही है, उससे उम्मीद है कि बाजार अच्छा जाएगा।
- बबलू श्रीवास, संचालक, सुपर बुक डिपो, भाटापारा