बिलासपुर। बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर के बी.एस.सी. (कृषि) तृतीय वर्ष के छात्र-छात्राओं द्वारा प्रायोगिक फसल उत्पादन पाठ्यक्रम के अंतर्गत 20 दिन पुरानी धान की नर्सरी की तकनीकी रूप से पगहा खेत में रोपाई कार्य किया।

व्यावहारिक पाठ्यक्रम का संचालन वैज्ञानिक डॉ. दिनेश पांडे ने बताया वैज्ञानिक विधियों के अनुसार नर्सरी की सावधानीपूर्वक निकासी और रोपाई के लिए पगहा खेत में नियमानुसार स्थापित किया जाता है। डॉ. पांडे ने बताया 20 से 25 दिन की आयु वाली नर्सरी रोपाई हेतु सर्वोत्तम मानी जाती है। पगहा खेत जल संरक्षण, पौध वृद्धि एवं खरपतवार नियंत्रण में सहायक होता है। रोपण की दूरी, गहराई और जड़ों की सतर्कता से संभालना, उपज वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। छात्रों ने उत्साह के साथ खेत तैयार करने, नर्सरी की निकासी व रोपाई में सहभागिता दिखाई। अधिष्ठाता डॉ. एन.के. चौरे ने कहा व्यावहारिक पाठ्यक्रम छात्रों को कृषि की वास्तविक परिस्थितियों से जोड़ते हैं और उन्हें व्यवहारिक दक्षता तथा आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर करते हैं।