कीमत भी स्थिर
बिलासपुर। शून्य पर है मछली जाल। खरीदी तो दूर, पूछ-परख तक नहीं है। रही-सही कसर मत्स्याखेट पर प्रतिबंध के आदेश ने पूरी कर दी है।
तट छोड़ चुकी नदियां, भंडारण क्षमता से काफी दूर जलाशय और सूख चुके तालाब। इन तीनों ने मिलकर मछली जाल को पहली बार शून्य पर लाकर खड़ा कर दिया है। अंदेशा शायद पहले से ही था। इसलिए मछली जाल स्थिर कीमत पर ठहरा हुआ है।अच्छे दिन आएंगे मगर…

अच्छे दिन आएंगे मगर…
मानसून की सुस्त चाल को देखते हुए जाल बेचने वाली संस्थानों का मानना है कि मछली जाल में डिमांड जुलाई मध्य से शुरू होने की संभावना है क्योंकि पहले जलभराव फिर बीज डाले जाने की प्रतीक्षा करनी होगी। यानी अच्छे दिन की प्रतीक्षा कम से कम एक माह और करनी होगी।सूखते तालाब, तट छोड़ती नदियां
सूखते तालाब, तट छोड़ती नदियां
मत्स्य संपदा से भरपूर माने जाने वाले तालाब सूख चुके हैं। नदियां सिर्फ गहराई वाले क्षेत्रों तक सिमट चुकी हैं। जलाशयों की सेहत भी ठीक नहीं है। कसर उस आदेश ने भी पूरा कर दिया है, जिसमें मत्स्याखेट पर बंदिश लगाने की बात कही गई है। यह प्रतिबंध 16 जून से 15 अगस्त तक जारी रहेगा।

स्थिर है कीमत
500 से 1000 रुपए किलो। नागरकोइल आंध्र प्रदेश का नायलॉन मछली जाल बेहतर मांग की प्रतीक्षा कर रहा है। जबकि लोकल फिश नेट 350 से 700 रुपए प्रति किलो जैसे भाव पर शांत है। लेकिन ठहरी हुई कीमत पर डिमांड तो दूर, पूछ-परख तक नहीं है। इसके बावजूद भरपूर मांग की संभावना को देखते हुए भंडारण का काम पूरा कर लिया गया है।