घटती आपूर्ति और बढ़ती मांग ने बढ़ाई कीमत
बिलासपुर। समाप्ति की राह पर है तरबूज की फसल क्योंकि सिंचाई पानी दूर हो चला है। इसलिए तेजी की धारणा बनने लगी है।
20 रुपए किलो पर खुला था तरबूज का चिल्हर बाजार। फिलहाल 15 रुपए किलो पर बिक रहा तरबूज फिर से 20 रुपए पर लौटने की तैयारी में है क्योंकि सीजन का लगभग एक माह अभी भी बचा हुआ है लेकिन मांग और आपूर्ति के बीच अंतर बढ़ने की स्थिति आ चुकी है।

सिमटता प्रवाह
शिवनाथ और महानदी। फसलों की भी प्यास बुझाती है लेकिन इस बार इन दोनों का प्रवाह, तट से दूर मध्य क्षेत्र में ही देखा जा रहा है। पहली बार इस प्रतिकूल स्थिति का असर उस तरबूज की खेती पर पड़ना चालू हो चुका है जो देश ही नहीं, विदेशों के फल बाजार भी अपनी अहम पहचान रखता आया है। ऐसी स्थिति में निर्यात लगभग बंद जैसा ही है।

हो रही आवक सरगुजा से
कसडोल और शिवरीनारायण की फसल आशा के अनुरूप नहीं आ पाई। लिहाजा प्रदेश के फल बाजार को अब सरगुजा के तरबूज उत्पादक क्षेत्र से खरीदी करनी पड़ रही है। यह क्षेत्र उड़ीसा और मध्य प्रदेश की खरीदी को पहली प्राथमिकता दे रहा है क्योंकि कीमत अपेक्षा के अनुरूप मिल रही है। असर हल्की शॉर्टेज के रूप में देखा जाने लगा है। जो आने वाले दिनों में और भी ज्यादा बढ़ सकती है।

ऐसे हैं भाव प्रति किलो
उत्पादक क्षेत्र में 6 से 8 रुपए किलो। होलसेल बाजार बेच रहा है 9 से 10 रुपए किलो पर। खुदरा बाजार दूरी के हिसाब से 15 से 16 रुपए प्रति किलो की दर पर तरबूज की बिक्री कर रहा है। बढ़ोतरी की आशंका इसलिए व्यक्त की जा रही क्योंकि शॉर्ट सप्लाई के बीच सीजन का लगभग 1 माह शेष है। ऐसे में बाजार खरबूजा की ओर ध्यान दे रहा है क्योंकि सप्लाई लाइन मजबूत है।