रतनपुर स्थित महामाया मंदिर के कुंड में जाल में फंसकर मृत मिले 23 कछुओं का मामला
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट बिलासपुर में बुधवार 9 अप्रैल को सो मोटो दर्ज जनहित याचिका पर होगी सुनवाई
रतनपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट बिलासपुर के सो मोटो पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन लेने के बाद भी रतनपुर वन परिक्षेत्र के अफसर रसूखदार आरोपियों पर नोटिस-नोटिस का खेल करते रहे, और तीन आरोपी फरार हो गए। वही वन विभाग ने दो मजदूर मछुआरों को आरोपी बनाकर गिरफ्तार कर लिया है। सोमवार की दोपहर सीएचसी में मुलाहिजा के बाद दोनों मजदूर मछुआरों को कोर्ट में पेश किया गया।
महामाया मंदिर परिसर स्थित कुंड में जाल में फंसकर मृत मिले 23 कछुओं के मामले में अंततः रतनपुर वन परिक्षेत्र कार्यालय में पांच आरोपियों को नामजद कर लिया है। सूत्रों के मुताबिक जांच के बाद मिले सीसीटीवी कैमरे के विडियो साक्ष्य और सुरक्षा कर्मी के बयानों के बाद महामाया मंदिर ट्रस्ट रतनपुर के उपाध्यक्ष सतीश शर्मा, मंदिर ट्रस्ट के सहयोगी आनंद जायसवाल, ट्रस्ट कर्मी गजेन्द्र तिवारी के साथ आनंद जायसवाल के आधी रात कुंड में गिननेट लगाने पहुंचे दो मजदूर मछुआरों को आरोपी नामजद किया है। सोमवार की दोपहर मजदूर मछुआरे बुधवारी पारा निवासी अरुण धीवर और भेड़ीमुड़ा निवासी विष्णु धीवर वन विभाग की टीम ने उनके घरों से गिरफ्तार कर लिया है। हिरासत में लेने के बाद दोनों आरोपियों को स्वास्थ्य जांच के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रतनपुर ले जाया गया। स्वास्थ्य जांच के बाद दोनों आरोपियों को गुपचुप तरीके से कोर्ट में पेश किया गया। वही मामले के जांच अधिकारी तीन अन्य आरोपियों की गिरफ़्तारी के सवाल को टाल गए। मामले किन किन को आरोपी बनाया गया है इसकी भी अधिकारिक जानकारी जांच अधिकारी नहीं दे रहे हैं। वहीं शहर में चर्चा है कि रसूखदार आरोपियों को वन विभाग की अफसरों की सह पर अभयदान देकर फरार होने में मदद की है। ऐसे में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बिलासपुर के सो मोटो पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन लेने और वन अफसरों के संरक्षण में रसूखदार आरोपियों के कथित तौर पर फरार के दुस्साहस पर सवाल उठने लगे हैं।
एक आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका हो चुकी है खारिज
महामाया मंदिर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष सतीश शर्मा ने न्यायालय सत्र न्यायाधीश बिलासपुर छ.ग. में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी। जिस पर कोर्ट ने कहा विवेचना प्रारंभिक स्तर पर है। मामला वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अनुसूची-1 के वन्य पशु के अवैध शिकार से संबंधित होने पर गंभीर प्रकृति का है। ऐसी स्थिति में इस स्तर पर आरोपी को अग्रिम जमानत का लाभ दिया जाना उचित नहीं है। न्यायालय – सत्र न्यायाधीश बिलासपुर ने आरोपी की ओर से भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 482 के तहत प्रस्तुत जमानत आवेदन को अस्वीकार कर निरस्त कर दिया था।

जमानत याचिका में आरोपी ने ये कहा
मामले के आरोपी सतीश शर्मा अपने अधिवक्ता के माध्यम से न्यायालय – सत्र न्यायाधीश बिलासपुर में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 482 के तहत अग्रिम जमानत के लिए 3 अप्रैल को आवेदन प्रस्तुत किया था। इसमें आरोपी ने निवेदन किया कि उसके विरुद्ध वन परिक्षेत्र रतनपुर जिला बिलासपुर के द्वारा वन अपराध क्रमांक 17774/01 दिनांक 25/03/2025 के तहत अपराध दर्ज किया गया है। वन्य प्राणी (संरक्षण) अधिनियम 1972 के अंतर्गत अवाहन पत्र (समन्वय) का नोटिस दिनांक 27 मार्च 2025 को जारी कर भेजा गया है । जिससे आशंका है कि पूछताछ के बहाने बुलाकर उसे गिरफ्तार किया जा सकता है। आवेदक /आरोपी श्री महामाया देवी मंदिर ट्रस्ट रतनपुर का उपाध्यक्ष है। चैत्र नवरात्र पर्व के पहले हर वर्ष की तरह मंदिर की साफ-सफाई, रख-रखाव एवं श्रद्धालुओं के सुख सुविधा का संपूर्ण ध्यान, ट्रस्ट के मिटिंग के अनुसार किया जाता है। इस तारतम्य में मंदिर के आसपास के सभी तालाब जो श्री महामाया देवी मंदिर ट्रस्ट रतनपुर के अधीन है, का साफ-सफाई भी ट्रस्ट द्वारा कराया जाता है। कभी भी वन्य जीवों को नुकसान नहीं पहुंचाया जाता है। इस वर्ष भी श्री महामाया देवी मंदिर ट्रस्ट रतनपुर के द्वारा ट्रस्ट संपत्ति के अधीनस्थ तालाबों को नवरात्र पर्व पूर्व साफ सफाई कराया गया था। अत्यधिक मात्रा में मछली होने के कारण एवं तालाब से बदबू आने के कारण मछली निकलवाया गया था। किसी भी प्रकार से एक भी कछुए को नुकसान नहीं पहुंचाया गया था। 23 और 24 मार्च 2025 को ट्रस्ट के निर्णय व सहमती से ट्रस्ट के अधिकृत व्यक्ति द्वारा तालाब की सफाई, मछली निकालने का कार्य किया गया था। उक्त दौरान भी एक भी कछुए को कोई क्षति नहीं हुई थी। बाद में तालाब के किनारे कुछ कछुए मरे हुए अवस्था में मिला था। जिस पर समाचार पत्र में प्रकाशन के आधार पर वन मण्डल द्वारा अपराध पंजीबद्ध किया गया है। जिस पर आवेदक/आरोपी को व्यक्तिगत रुप से झूठा फंसाने का षडयंत्र स्पष्ट रुप से दर्शित होता है। आवेदक/आरोपी के विरुद्ध कभी भी कोई भी अपराध पंजीबद्ध नहीं रहा है। वह निस्वार्थ रुप से ट्रस्ट की सेवा करता रहा है। मंदिर ट्रस्ट में कुछ लोगों के द्वारा अनावश्यक हस्तक्षेप के द्वारा झूठा अपराध पंजीबद्ध हुआ है। जिसकी जांच में आवेदक / आरोपी पूर्ण रुप से सहयोग के लिए तत्पर है। आवेदक/आरोपी की चल अचल संपत्ति बिलासपुर जिले में स्थित है। उसके फरार होने की कोई संभावना नहीं है। वन परिक्षेत्र अधिकारी रतनपुर द्वारा वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अंतर्गत दर्ज अपराध जमानतीय प्रकृति का है तथा सात साल से कम सजा का अपराध है। आवेदक /आरोपी का यह प्रथम जमानत आवेदन पत्र है। इसके अतिरिक्त आवेदक का अन्य आवेदन, किसी समकक्ष न्यायालय या माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत एवं निराकृत नहीं है।


जमानत के विरोध में दी है ये दलील
लोक अभियोजक ने प्रस्तुत आवेदन का विरोध करते हुए तर्क किया कि मामले में संलिप्त आरोपीगण द्वारा आशयपूर्वक कुण्ड से कछुओं को निकालने के लिये ही विशेष रुप से कछुआ पकड़ने के लिये जाल डाला गया और वह भी मध्य रात्रि में, जिससे की लोगों की जानकारी के बिना कछुओं को निकाला जा सके। इस संबंध में सीसीटीवी फुटेज से स्पष्ट है कि सुनियोजित ढंग से योजना तैयार कर दिन के प्रकाश में ट्रस्ट की विधिवत सहमति प्राप्त करने के स्थान पर अवैध रुप से मध्य रात्रि में आवेदक/आरोपी के निर्देश पर सुरक्षागार्ड द्वारा वीआईपी पार्किंग गेट खोल कर कुण्डा से अन्य जीव जंतुओं को छोड़कर केवल संरक्षित श्रेणी के कछुओं को निकालकर तस्करी की जा रही थी ।उभयपक्ष की ओर से प्रस्तुत तर्क के आलोक में, वन अपराध क्रमांक 17774/01 की केस डायरी का अवलोकन किया गया ।


क्या है पूरा मामला
25 मार्च 2025 को वन रक्षक धीरज कुमार दुबे को सूचना मिली कि रतनपुर वन परिक्षेत्र के अंतर्गत महामाया मंदिर से लगे हुए तालाब में मृत कछुआ नेट जाली में फंसा पड़ा है जो मृत है। सूचना पर स्टाफ के साथ मौके पर जाकर देखने पर 23 नग कछुआ नेट जाली में फंसा हुआ मरा पाया गया । जिस पर पंचनामा एवं गवाहों का बयान लेकर जब्तीनामा तैयार किया गया तथा अपराध की कायमी की गई। केस डायरी से दर्शित होता है कि केस डायरी में गवाहों के बयान से आरोपी के दिशा-निर्देश पर घटना दिवस की मध्य रात्रि को वीआईपी गेट खुलवाकर कुण्ड से कछुओं को निकालकर 4-5 बोरी में भरकर कछुओं को ले जाया गया । अधिवक्ता द्वारा तत्संबंध में कुण्ड की सफाई हेतु ट्रस्ट की गवर्निंग बॉडी की मीटिंग में सहमति उपरांत ही आरोपी द्वारा कुण्ड की सफाई करवायी जा रही थी। इस संबंध में गवर्निंग बॉडी का कोई सहमति पत्रक प्रस्तुत नहीं किया गया है और न ही मध्य रात्रि में ही केवल कछुओं को कुण्ड से निकालकर ले जाने के संबंध में भी कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण उनकी ओर से प्रस्तुत नहीं है। केस डायरी के अनुसार 23 नग जिन कछुओं का अवैध शिकार किया गया है, वे वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम की अनुसूची-1 के अंतर्गत इण्डियन ब्लैक सॉफटसेल टर्टल (कछुआ) के रुप में नामांकित है और उनका अवैध शिकार/आखेट धारा-9 के अंतर्गत प्रतिबंधित है और उनका उल्लंघन के संबंध में वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम की धारा-51 के अंतर्गत तीन वर्ष से कम न होकर सात वर्ष तक की सजा और दस हजार रुपये अर्थदंड से दंडनीय होना प्रावधानित है। मामला वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अनुसूची-1 के वन्य पशु के अवैध शिकार से संबंधित होने के आधार पर से गंभीर प्रकृति का है।