छह साल तक काटते रहें फसल



बिलासपुर। कीजिए एक बार बोनी। काटिए साल में चार बार। ‘आम के आम, गुठलियों के दाम’ जैसी कहावत तब चरितार्थ होती देखी जा सकेगी, जब इससे ऑर्गेनिक खाद और कंप्रेस गैस जैसी प्राकृतिक गैस हासिल होगी।

नाम है नेपियर ग्रास। सूखे दिनों में हरा चारा की भरपूर उपलब्धता सुनिश्चित करने वाली घास की यह प्रजाति अब मवेशी पालकों और डेयरी संचालकों का ध्यान अपनी ओर तेजी से खींच रही है। जरूरतमंद किसान इसलिए रुझान दिखा रहे हैं खेती के लिए क्योंकि घास की यह प्रजाति एक बार लगाने के बाद 6 साल तक जीवित रहती है।

इसलिए विशेष नेपियर ग्रास

सामान्य घास से इसलिए अलग है नेपियर घास क्योंकि अधिकतम ऊंचाई 10 फीट तक होती है। कैलोरीफिक वैल्यू सामान्य घास की तुलना में ज्यादा होती है। प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट अधिक होने की वजह से दूध उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलती है। यह स्थिति ग्रीष्मकाल में भी बनी रहती है। ऐसे में सूखे दिनों में पशु आहार की खरीदी पर होने वाला खर्च पशुपालक बचा सकते हैं।

फसल काटिए चार बार

नेपियर ग्रास की खेती इसलिए विस्तार लेती नजर आ रही क्योंकि एक बार बोनी के बाद साल में चार बार कटाई की जा सकती है। कीट प्रकोप से दूर घास की इस फसल के लिए उर्वरक की ज़रूरत जरा भी नहीं होती। नियम से प्रति पखवाड़े केवल एक बार सिंचाई में ही नेपियर प्राकृतिक रूप से बढ़वार लेता है यानी सिंचाई से मुक्त है नेपियर घास की खेती। इसलिए खेती का रकबा बढ़ रहा है।

है भविष्य का ईंधन

अनुसंधान में नेपियर ग्रास से कंप्रेस बायोगैस बनाया जाना संभव पाया गया है। बायोकोल जैसे गुण भी मिले हैं नेपियर घास में। प्राकृतिक ईंधन की वजह से पर्यावरण  को नुकसान नहीं होने की बात भी कही जा रही है। कुल मिलाकर घास की यह प्रजाति कई मायनों में किसानों के लिए लाभदायक साबित होगी।

बहुआयामी चारा फसल

नेपियर घास केवल चारा फसल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बायोफ्यूल उत्पादन, मृदा संरक्षण और कार्बन पृथक्करण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इसकी तेज़ वृद्धि, उच्च बायोमास उत्पादन और पुनर्योजी क्षमता इसे चारा और हरित ऊर्जा स्रोत दोनों के लिए उपयुक्त बनाती है।

अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर