कमरछठ के साथ सीजन चालू
भाटापारा। संकेत सीजन का। मुरमुरा और लाई में गर्मी आने लगी है। बेहतर जाने की संभावना को देखते हुए ईकाइयां अग्रिम तैयारी में जुट गईं हैं ताकि अपेक्षित मांग समय पर पूरी की जा सके।
गणेश उत्सव के दिन ज्यादा दूर नहीं हैं। इसके साथ पर्व और ऐसे त्यौहार आ रहे हैं, जिनमें लाई और मुरमुरा की मांग विशेष तौर पर रहती है लेकिन इस बार दोनों की खरीदी महंगी पड़ने वाली है क्योंकि जरूरी कच्ची सामग्रियों की कीमत बीते साल की तुलना में लगभग 10 से 15% बढ़ चुकीं हैं।
दस्तक सीजन की
गणेश उत्सव, नवरात्रि फिर विजयादशमी और दीपावली। यह त्यौहार लाई की मांग वाले पर्व माने जाते हैं जबकि मुरमुरा का सीजन लगभग पूरे साल रहता है। सावन उत्सव में जैसी मांग रही, उससे संकेत मिला कि त्यौहार और पर्व में इस वर्ष मांग अपेक्षाकृत बेहतर रहेगी लिहाजा संभावना को देखते हुए ईकाइयों ने अग्रिम तैयारी के साथ-साथ मांग वाले क्षेत्र से संपर्क बढ़ाना चालू कर दिया है।
चाहिए धान सफरी
मुरमुरा और लाई के लिए मुख्यत: सफरी प्रजाति के धान की जरूरत होती है लेकिन फसल का रकबा बेहद कम है। इसलिए यह प्रजाति बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड से मंगाई जा रही है। स्थानीय और अन्य क्षेत्रों की यह प्रजाति फिलहाल 2200 से 2300 रुपए क्विंटल पर मजबूत है। तेज माना जा रहा यह भाव स्वाभाविक रूप से मुरमुरा और लाई की कीमत बढ़ाए हुए है।
आने लगी गर्मी
उठती मांग और धान की तेजी के बाद लाई 50 रुपए किलो और मुरमुरा 47 रुपए किलो के स्तर पर पहुंच गया है। तेजी की धारणा इसलिए भी व्यक्त की जा रही है क्योंकि लाई में मांग के दिन यानी गणेश उत्सव, नवरात्रि के दिन करीब आ रहे हैं। मंदिर-देवालयों की मांग भी निकली हुई है। शिखर पर लाई तब तक रहेगी, जब दीपावली में चौतरफा मांग रहेगी जबकि चाट ठेलों की भी मांग मुरमुरा में बढ़त लिए हुए हैं।