बोनी पूर्व खेत तैयार करने में छूटने लगे पसीना
बिलासपुर। बोनी और नर्सरी की तैयारी इस सत्र में महंगी पड़ रही है, ऊंची कीमत पर बीज की खरीदी जैसे-तैसे की जा रही है लेकिन बाद के काम याने खेत तैयार करने में लग रही पूंजी, साफ संकेत दे रही है कि कल्टीवेशन और रोपाई पर अच्छी-खासी रकम खर्च करनी होगी।
महंगा होता डीजल और बढ़ी हुई मजदूरी दर। इस खरीफ सत्र में प्रति एकड़ खर्च बीते साल की तुलना में ज्यादा होने जा रहा है। बीज की खरीदी जारी है लेकिन इस पर भी लगभग दोगुनी कीमत निजी दुकानें ले रहीं हैं क्योंकि समितियों के पास बीज खत्म हो चुके हैं। अब बारी है कल्टीवेशन और रोटावेटर की, जिस पर किराया 200 से 300 रुपए प्रति घंटा बढ़ चुका है।
इसलिए खेत तैयार करना महंगा
ट्रैक्टर और अन्य कृषि उपकरणों की कीमत पर लगभग 15% की वृद्धि हुई है। रही-सही कसर डीजल की प्रति लीटर कीमत 94 रुपए 85 पैसे पूरी कर रही है। इन सभी ने मिलकर खरीफ की तैयारी पर गहरा असर डाला हुआ है। इसलिए प्रति एकड़ बोनी और रोपाई की दर बढ़ी हुई है। इसमें वृद्धि तब और भी देखी जाएगी, जब काम शीर्ष पर होगा।
इस दर पर रोटावेटर
सिंचाई साधन से संपन्न किसानों के खेतों में नर्सरी की शुरुआत हो चली है। अगले पखवाड़े के अंत में रोपाई का काम शुरू होने की संभावना है लिहाजा खेत तैयार करने के लिए रोटावेटर का प्रति घंटा किराया 1200 रुपए तय हो चुका है। जबकि ऊंची भूमि पर सूखी जोताई के लिए 1000 रुपए प्रति घंटा लिया जा रहा है। इसमें भी बढ़त के संकेत मिल रहे हैं।
खुली रोपाई की दर
सिंचाई साधन वाले क्षेत्रों में नर्सरी में पौधों को देखते हुए रोपाई की दर ओपन होने लगी है। शुरुआती दौर में प्रति एकड़ रोपाई के लिए 4500 रुपए बोले जा रहे हैं। बीते सत्र से यह दर इस बार 500 रुपए ज्यादा है। पखवाड़े भर बाद इसमें वृद्धि के संकेत मिल रहे हैं क्योंकि तब चौतरफा मांग होगी।