रतनपुर। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र रतनपुर की ओपीडी में सामान्य रोगों की जांच के लिए सिर्फ एक नियमित डॉक्टर हैं, जो प्रभारी का काम भी देखते हैं। वहीं दो स्त्री रोग विशेषज्ञ महिला डॉक्टर हैं जिनकी उपस्थित रजिस्टर में ही हर रोज दर्ज होती है। इनका रसूख ऐसा की सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे भी इनकी नियमित मौजूदगी दर्ज करने से हाथ खड़े कर दे रहे हैं। इन पर कार्रवाई के सवाल पर अनुविभागीय कार्यपालक दंडाधिकारी भी गोल-मोल जवाब देने लग जाते हैं।
सुनिए कार्यपालक दंडाधिकारी कोटा को….
रतनपुर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्वास्थ सेवाओं को लेकर सफेद हाथी साबित हो रहा है। अपनी स्थापना काल से ही अब तब इस अस्पताल को शासन से स्वीकृत पदों के हिसाब से अमला नहीं मिल है। और जो अमला मिला भी है तो उनके रसूख के आगें प्रशासनिक अमला भी नतमस्तक हैं। इसका खामियाजा अंचल के गरीब मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। बीते साल भर से स्थिति ऐसी कि ओपीडी टाइम के बाद तो सीएससी रेफर सेंटर बनकर रह गया है। शासन ने करोड़ों रुपए खर्च कर साजों सामान से सुसज्जित बेहतरीन भवन बना है। वहीं मानवता और सेवा के लिए धड़कने वाल दिल यहां पदस्थ उच्च शिक्षा प्राप्त डॉक्टरों और जिम्मेदार अफसरों का नहीं हो पर रहा है। बड़ी संख्या में अंचल की गरीब बीपीएल परिवार की महिलाएं संस्थागत प्रसव कराने सीएचसी पहुंचती हैं। जिससे कि शासन की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के फायदे उन्हें मिल सके।
बीते दो साल से इस आलीशान भवन में आपरेशन थियेटर बनाने की बात स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अफसर कर रहें हैं। इसके साकार होने में कौन रोड़ा बन रहा है । ये समझना मुश्किल नहीं है। अस्पताल में आपरेशन थियेटर बन गया तो टाइम-बेटाईम बेबस जरूरतमंद गरीब गर्भवती महिलाओं के प्रसव कराने पड़ेंगे और जरुरत पड़ी तो आपरेशन भी करने होंगे। इसके लिए अलग से फीस भी नहीं मिलेगी। सबसे जरुरी बात इन सब दायित्वों के निर्वहन के लिए मुख्यालय में ही घर लेकर रुकना पड़ेगा। इनका घर या क्लिनिक (हमारी समझ में दुकान) मुख्यालय में नहीं है ऐसा भी नहीं है। शहर में इनका क्लिनिक हैं जहां भी इनकी उपस्थिति नियमित नहीं है। यहां इनकी उपस्थिति के समय की तहरीर भी पढ़कर आप हैरान हो जाएंगे।
इन सब पर हैरान करने वाली बात ये है कि तीस हजार आबादी तब पहुंच रहे इस शहर के करीब 21 हजार मतदाताओं ने अपनी तकलीफ शिकायतों और समस्याओं को मुखरता से उठाने के लिए 15 पार्षदों को चुना है। पर क्या मजाल कि ये जाकर देखे की उनके शहर के अस्पताल का क्या है हाल। सोचों बाबू ये है आपात काल … सिस्टम में सब हैं बेबस… लाचार ….