समय पर काम का निपटान अभी भी चुनौती

भाटापारा। चालू सप्ताह का अंतिम कार्य दिवस भी परेशानी में बीता। प्रांगण के बाहर जहां प्रवेश के लिए लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ी, वहीं भीतर कछुए की चाल से होता काम सभी के लिए परेशानी भरा रहा

देना पड़ सकता है हाल्टिंग चार्ज यानी कृषि उपज का परिवहन व्यय लगभग दोगुना। रही-सही कसर नाश्ता और भोजन पर लग रहा खर्च पूरा कर रही है। बड़ी चिंता उन किसानों को है, जिनकी उपज से भरी गाड़ियां बाहर खड़ी हुईं हैं। ऐसे में रतजगा आवश्यक है क्योंकि सुरक्षा इंतजाम खुद को करना पड़़ रहा है।

अवकाश के दिन भी काम

रविवार अवकाश तो वजह है ही। इसके अलावा तेज धूप और भीषण गर्मी को सबसे बड़ी वजह माना जा रहा है महिला श्रमिकों की  कमजोर उपस्थिति के पीछे। हालांकि नीलाम हो चुकी कृषि उपज की भराई किसान कर सकते हैं लेकिन वैसी गति नहीं आ पाती, जैसी गति महिला श्रमिकों के काम में नजर आती है। लिहाजा मंडी प्रबंधन अवकाश के दिन भी काम करवा रहा है।

प्रांगण जाम

30 हजार क्विंटल क्षमता वाला कृषि उपज मंडी प्रांगण पूरी तरह से जाम है। जितनी मात्रा में उठाव हो रहा है, उससे दोगुनी मात्रा में हो रही आवक के बाद मंडी प्रबंधन राहत के उपाय तो खोज रहा है लेकिन सफलता की किरण नजर नहीं आ रही है। ऐसे में  रबी फसल के आवक के दिन ऐसी ही दिक्कतों के बीच गुजरने की बात कही जा रही है।

किसानों पर दोगुना व्यय भार

रबी फसल लेकर आ रहे किसानों को हाल्टिंग चार्ज के रूप में अतिरिक्त रकम देनी पड़ सकती है क्योंकि घंटो की प्रतीक्षा के बाद प्रवेश की अनुमति मिलेगी? यह निश्चित नहीं है।  इसके अलावा भोजन और नाश्ता पर लग रहा खर्च भी भारी पड़ रहा है। हद तो तब, जब पानी भी खरीदना पड़ रहा है क्योंकि बाहर  व्यवस्था है ही नहीं। जो है, वह सीमित समय के लिए ही है।

By MIG