रोज 150 से 300 क्विंटल प्लास्टिक शीट्स
बदहाल कृषि उपज मंडी, परेशान किसान
भाटापारा। 150 से 300 क्विंटल हर रोज। यह आंकड़ा उस प्लास्टिक शीट्स का है, जो बीते 4 दिन से खूब मांग में है। कारोबार हैरत में इसलिए है क्योंकि सीजन की मांग, ऑफ सीजन के दौर में ही निकली हुई है।
कब प्रवेश द्वार खुलेगा ? कब नीलामी होगी? और कब भराई होगी? जैसे सवालों के बीच मौसम का पल-पल बदलता मिजाज किसानों को उस प्लास्टिक शीट्स की खरीदी के लिए विवश कर रहा है, जिसकी मदद से प्रांगण के बाहर और प्रांगण के भीतर कृषि उपज को भीगने से बचाया जाना है।

इसलिए खरीदी को विवश
महिला श्रमिकों का आंदोलन खत्म हुए 3 दिन बीत चुके हैं। निपटान में होता विलंब और मौसम की प्रतिकूलता कृषि उपज के लिए नुकसानदेह हो सकती है। इसलिए प्रांगण के भीतर और बाहर दोनों जगह फौरी सुरक्षा के उपाय के तहत किसान प्लास्टिक शीट्स की खरीदी के लिए विवश हो रहे हैं। हालांकि कीमत ठहरी हुई है लेकिन बेवजह का व्यय माना जा रहा है।

ऑफ सीजन में सीजन जैसी मांग
प्लास्टिक शीट्स में फिलहाल, ऑफ सीजन का दौर है लेकिन जून अंत में शुरू होने वाले, प्लास्टिक शीट्स की मांग देखकर बाजार हैरान है। अमूमन सीजन में प्रतिदिन 150 से 300 क्विंटल प्लास्टिक शीट्स की खपत होती रही है लेकिन पहली बार मई मध्य में ही यह आंकड़ा पहुंच चुका है। कीमत 150 रुपए प्रति किलो पर ठहरी हुई है लेकिन मांग को देखते हुए अतिरिक्त ऑर्डर कंपनियों को दिए जा रहे हैं।

मंडी प्रशासन की लापरवाही
गर्मी के दिन हैं। बादलों का जमाव तो है लेकिन गर्मी के तेवर बाकायदा बने हुए हैं। ऐसे में पानी और विश्राम की जरूरत किसान महसूस कर रहे हैं लेकिन दोनों विश्रामगृह में ताले लगे हुए हैं। इसलिए पेड़ों की छांव या ट्रक- ट्रैक्टर के नीचे बैठकर अपनी बारी की प्रतीक्षा करने के लिए विवश है किसान। आग्रह या शिकायत करना मना है।