अल्प सिंचाई, शून्य उर्वरक और जोरदार कमाई से बढ़ा रुझान
बिलासपुर। बड़ा बाजार। बड़ी मांग। कमजोर आपूर्ति। मतलब जोरदार कीमत। जी हां, यह सागौन ही है, जो इस समय ट्री- फार्मिंग के क्षेत्र में अव्वल नंबर पर चल रहा है। अपने प्रदेश में अब इसकी भी व्यावसायिक खेती, तेजी की राह पर है क्योंकि यह कमाई का जोरदार साधन बन चुकी है।
90 का दशक आते-आते सागौन से तेजी से किनारा किया जाने लगा था, ऐसा इसलिए क्योंकि यह साल था डिजाइनर सनमाइका का। प्रकृति को लेकर आई जागरूकता का दौर एक बार फिर से बढ़ चला है, इसलिए सागौन जैसे भूले- बिसरे वृक्ष पुनः याद किए जा रहे हैं। इसलिए पौधरोपण की योजना परवान चढ़ रही है और बढ़ रहा है सागौन की व्यावसायिक खेती की ओर रुझान।

इसलिए अव्वल
ट्री-फार्मिंग के क्षेत्र में सागौन इसलिए टॉप पर है क्योंकि यह एकमात्र ऐसी प्रजाति है, जिसे किसी भी प्रकार की भूमि में, किसी भी मौसम में रोपण किया जा सकता है। कम पानी, उर्वरक की शून्य जरूरत भी, रुझान की एक वजह है। 10 से 15 बरस बाद अपनी पूर्ण परिपक्वता अवधि पूरा करने वाले, सागौन की फसल के लिए धैर्य, अहम जरूरत है। रुझान के बाद केंद्र सरकार की योजना भी ट्री-फार्मिंग की दूसरी वजह मानी जा रही है।

अहम है यह गुण
सागौन वृक्ष की एक बहुत बड़ी विशेषता यह है कि इसकी लकड़ियों में दीमक नहीं लगते। इसकी वजह से दरवाजे, खिड़कियां इसकी ही लकड़ियों से बनाए जाते हैं। इसके अलावा जलपोत निर्माण क्षेत्र अपने आप में वृहद मांग वाला क्षेत्र है।

ऐसे सागौन ट्री-फार्मिंग
वानिकी वैज्ञानिकों ने बेहतर फसल के लिए एक एकड़ के रकबे के लिए 500 पौधों के रोपण को सही बताया है। कम देख-रेख, अल्प सिंचाई और लगभग शून्य उर्वरक की जरूरत वाला सागौन 10 से 15 वर्ष के बाद परिपक्व हो जाता है। इस समय प्रति पेड़ मानक ऊंचाई और मोटाई के बाद 30 से 35 हजार रुपए बाजार मूल्य बताया जा रहा है।

नहीं लगता दीमक और फफूंद
सागौन का महत्व इसमें अद्वितीय गुणों के कारण ही है। यह लंबा, सीधा तथा गोलाई वाले लट्ठे में विकसित होता है l इसकी लकड़ी सख्त होती है। सागौन की ताजी लकड़ी पीले रंग की होती है जो बाद में भूरे अथवा काले रंग की हो जाती है। जो अत्यधिक टिकाऊ होती है। इसका बाहरी रसकाष्ठ पतला एवं सफेद रंग का होता है। यह लकड़ी दीमक, फफूंद, गलने- सड़ने के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधक है। यह अपने स्थायित्व गुण के कारण बहुत अधिक सुदृढ़ होती है तथा मुड़ती या फटती नहीं है। सूखे काष्ठ का वजन 40 पाउंड प्रति घन फिट होता है।
अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर