समय नहीं, अफसरों और जनप्रतिनिधियों के पास

भाटापारा। कुल 31 वार्ड। सब-के-सब बेशुमार गंदे। जहां गंदगी होगी, वहां मच्छरों की फौज भला हमले के लिए क्यों नहीं तैयार होगी ? उपाय और संसाधन तो हैं लेकिन नहीं है इच्छाशक्ति। इसलिए पालिका की भरपूर लापरवाही का खामियाजा भुगत रहा है अपना शहर।

भूल जाइए शिकायत करना। मत दीजिए शिकायत या सफाई के लिए आवेदन क्योंकि ना सुनी जाएगी, ना आवेदन पर कार्रवाई होगी। सक्षम अधिकारी हैं। कर्मचारियों की भी फौज है। और हैं जनता के चुने हुए जन प्रतिनिधि। नहीं है, तो केवल वह इच्छा शक्ति, जो होना चाहिए ऐसे लोगों के पास। यही वजह है कि गंदगी और बाद की परेशानियां पैर पसार चुकीं हैं।

स्वच्छता अभियान ध्वस्त

देशभर में चला स्वच्छता अभियान। यहां यह केवल रस्म आदाएगी जैसी नजर आई। परिणाम जाम नालियों के रूप में सामने हैं। नियमित सफाई केवल वहीं होती है, जहां आसान है। शेष जस-की-तस हैं। सड़कों की सफाई तो होती है लेकिन अपशिष्ट, नालियों तक कैसे पहुंच रहा है ? यह जानने के लिए फुर्सत नहीं है किसी के पास।

खुली छूट

नालियों पर पक्के चबूतरे की संरचना। यह सवाल उठाती है कि आखिर इसकी अनुमति किसने दी ? जांच और कार्रवाई तो दूर, समझाइश तक नहीं दी जाती पालिका प्रशासन की ओर से। फलतः घरों और संस्थानों का अपशिष्ट, ऐसे ही बीच सड़क पर छोड़ दिया जाता है। यक्ष प्रश्न है कि आखिर कब ध्यान देंगे अधिकारी और पार्षद ?

हम किसी से कम नहीं

पालिका प्रशासन की कार्यशैली के पक्षधर हैं हम। निर्माण के लिए उपयोग की जाने वाली भवन निर्माण सामग्री, हम ऐसे ही सड़क पर रख रहें हैं। हमारी संस्थानें, सड़क और नालियों में ही अपशिष्ट का प्रबंधन करती है। प्रदर्शन सामग्री का ठिकाना भी सड़क और नालियां ही बनी हुई हैं। व्यवस्था का पूरा साथ मिल रहा है हमें। इसलिए किससे करें शिकायत ?

कहां है यह मशीन ?

मच्छरों से निजात दिलाने के लिए इस निकाय को भी मिली थी फॉगिंग मशीन। क्यों नहीं चलाई जा रही है ? जैसे सवाल के जवाब हैरान करने वाले मिले कि- देखना पड़ेगा है, कहां रखी है फॉगिंग मशीन ? जिम्मेदारों का यह जवाब चौंकाता है। इसलिए खुद के संसाधन से सफाई और मच्छरों से निपटने की कोशिश कर रहा है शहर।

By MIG