आपूर्ति कम, मांग ज्यादा
बिलासपुर । पोहा मिलों पर छाए संकट के बादल ने अब मवेशी पालकों और डेयरियों में भी दस्तक दे दी है। संकट उस ‘बदरा’ के रूप में पहुंच चुका है, जिसका उपयोग पशु आहार के लिए किया जाता है।
तेजी बनी रहेगी बदरा में। यह संभावना इसलिए व्यक्त की जा रही है क्योंकि अधिकांश पोहा मिलें संचालन से बाहर हैं। इसका असर धान की कमजोर खरीदी से होता हुआ, उस बदरा तक पहुंचा हुआ है, जो धान की सफाई करने के दौरान निकलता है।
बड़ी वजह
धान मजबूत लेकिन पोहा में उपभोक्ता राज्यों की बेहद कमजोर मांग। प्रतिकूल स्थिति के बीच परिचालन से बाहर जाती यूनिटें। परिणामस्वरुप बदरा की कमजोर आपूर्ति। जबकि इसका उपभोक्ता क्षेत्र बराबर बना हुआ है लेकिन इसमें उपलब्धता सीमित होने लगी है। ऐसी स्थिति में बदरा गर्म होने लगा है।
इसलिए भी गर्म
पशु आहार की खरीदी में अच्छी- खासी हिस्सेदारी रखने वाला बदरा इसलिए भी गर्म हो रहा है क्योंकि खरीफ की नई फसल की आवक होने लगी है। इस सत्र की फसल में बदरा कम निकलता है। इसलिए पशु आहार की खरीदी करने वालों को ज्यादा कीमत देनी पड़ रही है।

ऐसी है आपूर्ति, ऐसे हैं भाव
प्रतिकूल स्थितियों के बीच बदरा की प्रतिदिन की उपलब्धता महज 8 से 10 टन के आसपास ही बताई जा रही है जबकि मांग इससे ज्यादा ही है। ऐसे में सूखा बदरा 700 से 800 रुपए क्विंटल और गीला बदरा 300 से 400 रूपए क्विंटल पर पहुंच चुका है। तेजी के संकेत बराबर मिल रहे हैं
बदरा में मवेशी पालकों की मांग का दबाव बना हुआ है लेकिन मांग की तुलना में कमजोर आपूर्ति की वजह से इसमें तेजी आ रही है।
– कमलेश कुकरेजा, अध्यक्ष,छग. पोहा-मुरमुरा उत्पादक संघ, रायपुर