गौरव पथ पर लगे जिला बनाओ के स्टीकर



भाटापारा। जैसे-जैसे चुनाव का समय नजदीक आता जा रहा है वैसे वैसे यहां की आम जनता की उम्मीदें सरकार से बढ़ती जा रही है। उसी की परिणति है कि नगर का गौरव पथ भाटापारा को जिला बनाओ के नारों से पट चुका है। गौरव पथ पर लगे ये स्टीकर भाटापारा स्वतंत्र जिला निर्माण के 40 वर्षों के संघर्षों की कहानी कह रही है।

जिले के मुद्दे पर समझौता नहीं
पृथक जिला निर्माण को लेकर अब सामाजिक संगठनों की जिस तरीके से प्रतिक्रिया आ रही है,उससे यह प्रतीत होता है कि यहां की आम जनता अब जिले के मुद्दे पर कोई समझौता करने वाली नहीं है। जनता इस बार किसी भी प्रकार के आश्वासन में नहीं आने वाली है। आम जनता चाहती है कि चुनाव के पहले ही भाटापारा को स्वतंत्र जिले का दर्जा मिले ।

नोटा की ओर बढ़ रहा रुझान
बीते 40 सालों से आश्वासन की पुड़िया ही आम जनता को मिली है,जिला निर्माण की दिशा में कोई सार्थक पहल अब तक नजर नहीं आ रहा है। आम जनता में एक वर्ग ऐसा भी है जो दोनों दलों से नाराज हैं और जिला नहीं बनने की स्थिति में नोटा को अपना विकल्प मान कर चल रही है।

पथरा गई है आंखें
स्वतंत्र जिला के लिए तीसरी पीढ़ी अभी संघर्ष कर रही है । संघर्ष के कई साथी अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन जो बच गए हैं उनकी आंखें जिले की राह देखते देखते पथरा गई है, परंतु फिर भी उम्मीद में वे जी रहे हैं कि इस बार चुनाव से पहले जिला जरूर बन जाएगा।