“टिकाऊ जैविक खेती में जैविक खाद एवं जैविक दवाओं के उपयोग” पर हुई कृषक संगोष्ठी
बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर का आयोजन
बिलासपुर। दुनिया में कृषि की शुरुआत प्राकृतिक खेती से हुई। पहले लोग जीविकापार्जन के लिए कृषि करते थे । हमारे किसानों की समर्थता दिखाती है कि वे 134 करोड़ जनता को अनाज उपलब्ध करा रहे हैं। जमीन जीवित है, हम उसमें रसायन डाल-डाल कर मृत बना रहे हैं। भूमि में कार्बनिक तत्वों की कमी होती जा रही है। परिणामस्वरूप भूमि ना सिर्फ बंजर बल्कि अनउत्पादक भी होती जा रही है। जिस पर हमें गंभीरता से विचार करना होगा। यह बात मुख्य अतिथि डॉ.गिरीश चंदेल, कुलपति, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने कही।

बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर में “टिकाऊ जैविक खेती में जैविक खाद एवं जैविक दवाओं के उपयोग” पर एक दिवसीय कृषक संगोष्ठी आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि डॉ.गिरीश चंदेल ने कहा हम जैविक खेती की तरफ गंभीरता से विचार करें। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने स्थानीय आवश्यकतानुसार उच्च गुणवत्ता वाले जैविक उत्पाद के उत्पादन की तकनीक विकसित की है। जो कृषक भाई जैविक ढंग से खेती कर रहे हैं वे प्रमाण पत्र अवश्य प्राप्त करें। इसके लिए जिस प्रकार के भी आदान लगेंगे विश्वविद्यालय उन्हें प्रदान करेगा। जैविक खेती को बढ़ावा देने हेतु विश्वविद्यालय तीन बातों पर विशेष ध्यान दे रहा है जिसमें गुणवत्ता, वितरण एवं प्रमाणीकरण तथा उत्पाद कीट एवं पीड़कनाशी के अवशेष से मुक्त हो।

अधिष्ठाता डॉ. आर.के. एस. तिवारी ने कहा समय की मांग है, हमें जैविक खेती को बढ़ावा देना होगा। विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय प्रशिक्षण तथा प्रदर्शन द्वारा यह निरंतर प्रयास कर रहा है कि किसान भाई रासायनिक खेती के बदले जैविक खेती करें।

उत्पादन में कमी बड़ी चुनौती
विशिष्ट अतिथि बोधराम कंवर ने कहा रासायनिक खेती के दुष्परिणाम हमारे सामने है। भूमि की उर्वरता,उसकी रक्षा, उत्पादकता को बनाए रखने के लिए जैविक खेती आवश्यक है। रासायनिक खेती हमारे जीवन में रच बस गया है उसे छोड़ना ही होगा । विशिष्ट अतिथि आनंद मिश्रा ने कहा जैविक खेती के बाद उत्पादन में कमी एक बहुत बड़ी चुनौती है। समाज को मिलकर इसकी भरपाई करना चाहिए। बदलते परिवेश में किसानों को संगठित होकर सामाजिक, आर्थिक परिस्थितियों के बारे में सोचना होगा सभी समाज एवं देश का विकास होगा।अंत में आभार डॉ. आर. के.एस.तोमर, प्रमुख वैज्ञानिक (कीट विज्ञान) ने व्यक्त किया।