पूछ-परख और बढ़ा काम का दबाव
बिलासपुर। कूलर का खस बदलवाने से पहले जेब का वजन, जरूर जांच करें क्योंकि इसकी कीमत पसीने छुड़ाने जा रही है। हां, सस्ते में काम करवाना हो तो वुडुल, जरूर अभी भी खरीदी की ताकत के भीतर ही है। इसमें आंशिक तेजी आई है। यह काम जल्द करवाना होगा क्योंकि कूलर मैकेनिकों के पास काम का दबाव बढ़त ले रहा है।
दोपहर गर्म होने लगी है। यह गर्मी देर शाम तक महसूस की जा रही है। कूलर, पंखे और एसी बेचने वाली दुकानों में छिटपुट मांग भी पहुंच रही है। साथ ही ऐसे उपभोक्ता भी पहुंच रहे हैं जिन्हें, खराब या उपयोगी नहीं रह गए कूलर के खस बदलवाना है। खस की कीमत तो पहुंच से काफी दूर हो गई है, ऐसे में वुडुल ही सहारा बने हुए हैं क्योंकि तेजी के बावजूद इसकी कीमत अभी भी अपेक्षाकृत कम ही है।
इस कीमत पर वुडुल
सामान्य आकार के बनने वाले कूलर में लगने वाले वुडुल की खरीदी अब 55 से 60 रुपए किलो पर करनी होगी। बताते चलें कि एक कूलर में 2 से 3 किलो तक वुडुल की खपत होती है। इसमें आकार के हिसाब से खपत की जाने वाली मात्रा घट या बढ़ सकती है। प्रदेश की मांग राजधानी रायपुर से ही पूरी हो रही है।
खस हुआ खास
राजस्थान के उदयपुर और भरतपुर में होने वाले खस की व्यावसायिक खेती प्रतिकूल मौसम की भेंट चढ़ चुकी है। वैसे भी उपयोग क्षेत्र में विस्तार के बाद इसकी उपभोक्ता मांग बढ़ी हुई है। इसका असर बढ़ी हुई कीमत के रूप में सामने आ चुका है। कमरतोड़ मेहनत के बाद 18 महीने में तैयार होने वाली खस की नई फसल की कीमत 150 से 180 रुपए किलो तक चल रही है। इसमें तेजी के संकेत लगातार मिल रहे हैं।
इसलिए भी गर्मी
गुणों की पहचान के बाद हुए अनुसंधान ने खस को शरबत, इत्र, औषधि बनाने वाली इकाइयों तक पहुंचा दिया है। यह भी तेजी की बड़ी वजह है, तो दूसरा बड़ा कारण खस की खेती का घटता रकबा भी बन रहा है। तीसरी वजह इसकी फसल के तैयार होने में लगने वाला समय है। इसलिए हर समय यह हैरत में डालने वाली कीमत के रूप में दिखाई देता है।