भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा का अनुसंधान सफल

बिलासपुर। अब किसान घर पर ही कीटनाशक बना सकेंगे और छुटकारा पा सकेंगे, ऐसे कीट से जो फसलों को बेतरह नुकसान पहुंचाते हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा ने इसे बनाने की विधि पहुंचाने की तैयारी चालू कर दी है।

महंगे कीटनाशक के छिड़काव से कीट प्रबंधन में सफलता तो मिलती है लेकिन खेतिहर जमीन को नुकसान पहुंचने से रोका नहीं जा सकता। भूमि की उर्वरा शक्ति की भी घटने की शिकायतें प्रमाणित हो चुकी है। ऐसे में सभी परिस्थितियों में अंततः किसानों को ही नुकसान उठाना पड़ता है। इन्हीं सब हानि को देखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा ने, जैविक कीटनाशक पर अनुसंधान किया, जिसमें आखिरकार सफलता मिल ही गई।
निंबोली से बनाया जैविक कीटनाशक


निंबोली से बनाया जैविक कीटनाशक

हर गांव में बहुतायत से मिलने वाला नीम का पेड़ और निंबोली, जैविक कीटनाशक के लिए प्रमुख आधार बना। अनुसंधान के बाद में निंबोली में ऐसे प्राकृतिक तत्व मिले, जिनकी मदद से फसलों को नष्ट करने वाले कीट पर नियंत्रण किया जा सकता है। यह बेहद आसान और बेहद कम खर्च पर तैयार किया जाने वाला प्रथम जैविक कीटनाशक होगा।


ऐसे करें तैयार

निंबोली पाउडर के साथ लिक्विड डिटर्जेंट की जरूरत होगी। जैविक कीटनाशक बनाने के लिए 5 किलो निंबोली पावडर, 200 मिली लीटर लिक्विड डिटर्जेंट का घोल 20 लीटर पानी में घोलें। 24 घंटे के बाद इसे छानना होगा। अब तैयार है जैविक कीटनाशक, जिसका छिड़काव फसलों पर किया जा सकता है।


बढ़ेगी उर्वरा शक्ति

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ सुदीप साहा द्वारा तैयार जैविक कीटनाशक के छिड़काव से पर्यावरण पर हानि नहीं पहुंचने की जानकारी सामने आई है। भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में मदद मिलेगी ही, साथ ही छानने के बाद बचा अवशेष, फसल और खेतों में छिड़काव किया जा सकता है। इससे भूमि की उर्वरा शक्ति को प्राकृतिक तरीके से बढ़ाया जा सकेगा।

निंबोली कीट प्रकोप पर नियंत्रण के लिए प्रभावी है। इसके उपयोग से ना केवल शत्रु कीट पर नियंत्रण रखा जा सकता है बल्कि मित्र कीटों के संरक्षण में भी मदद मिलती है।

  • डॉ एस. आर. पटेल, रिटायर्ड साइंटिस्ट, एग्रोनॉमी ,इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर