चीला, चौंसेला अऊ फरा बनाए बर खरीदी चालू
सतीश अग्रवाल
भाटापारा। मांग जनवरी मध्य तक जा सकती है। इस संभावना ने नया चावल और नया चावल के आटा की कीमत बढ़ा दी है। ऐसा इसलिए क्योंकि चीला, चौंसेला और फरा जैसे छत्तीसगढ़ी व्यंजन खूब बनाए जा रहे हैं।
धान के साथ अब नया चावल के दाम भी बढ़त लेने लगे हैं लेकिन हैरत इसलिए व्यक्त की जा रही है क्योंकि पहली बार शहरी मांग दोगुनी से ज्यादा हो चुकी है। इसे भी तेजी की वजह मानी जा रही है।

जनवरी मध्य तक
चीला, फरा, चौंसेला के अलावा ‘अईरसा’ भी बनते हैं नया चावल के आटा से। बाजार हतप्रभ इसलिए है क्योंकि मांग के दिनों में लगभग एक पखवाड़े की और वृद्धि की संभावना बन रही है। इसके अलावा पहली बार नया चावल आटा की खरीदी में शहरी उपभोक्ताओं की हिस्सेदारी लगभग 30 से 40 फ़ीसदी तक पहुंची हुई है। इनकी भी मांग को देखते हुए बाजार जनवरी मध्य तक जाने की संभावना है।

गढ़ कलेवा से मिला विस्तार
गढ़ कलेवा से छत्तीसगढ़ी पर्व और त्यौहार के अलावा परंपरा को जैसा विस्तार मिला, उससे भी चीला, फरा और चौंसेला के साथ अईरसा के लिए जरूरी चावल आटा की मांग बढ़ाने में मदद मिली। यानी नया चावल आटा को नया बाजार मिला है विस्तार के लिए। ऐसे में छत्तीसगढ़ के साथ अन्य वर्ग के नए उपभोक्ता जुड़ रहें हैं चीला, चौंसेला और फरा के लिए।

36,40 और 45
नए उपभोक्ता। नया मांग क्षेत्र देखकर बाजार बेहतर भविष्य की आस में नया चावल की खरीदी बड़ी मात्रा में कर रहा है। इसकी वजह से नया चावल होलसेल में 36 रुपए किलो, चिल्हर में 40 रुपए किलो और नया चावल का आटा रिकॉर्ड 45 रुपए किलो जैसी उच्चतम कीमत पर पहुंच गया है। मांग की स्थिति भाव को मजबूत बनाए हुए हैं।