पारा चढ़ रहा गेहूं का


बिलासपुर। न्यूनतम 2400 से 2800 रुपए, अधिकतम 3200 से 4000 रुपए क्विंटल। साफ संकेत है कि गेहूं में कीमत इससे आगे जाएगी। यह तब, जब उपभोक्ता मांग महज 25 फ़ीसदी ही है।
    दाल, चावल के बाद अब बारी है गेहूं की, जिसमें तेजी की आशंका बलवती होती नजर आ रही है। पूरे साल मांग में रहने वाला गेहूं इसलिए भी तेज हो रहा है क्योंकि फ्लोर मिल क्वालिटी का छत्तीसगढ़ का गेहूं विशाखापट्टनम खरीद रहा है, ऐसे में घरेलू मांग की आपूर्ति मध्य प्रदेश से की जा रही है।

इसलिए पड़ोस से खरीदी

गेहूं की तैयार फसल के दौरान प्रदेश में असमय बारिश ने जैसा रूप दिखाया, उसने गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डाला। तैयार फसल जब मंडियों में पहुंची, तब दानों की चमक गायब थी। स्वाद भी कमजोर पाया गया। इसलिए घरेलू उपभोक्ताओं ने खरीदी से इनकार कर दिया। अब यह जरूरत मध्य प्रदेश के गेहूं से पूरी की जा रही है।

दे रहे विशाखापट्टनम को

बारिश के प्रकोप के बाद खराब हो चुका गेहूं फ्लोर मिल क्वालिटी का माना जाकर 2400 से 2800 रुपए क्विंटल की दर पर विशाखापट्टनम खरीद रहा है। यह कीमत पिछले कुछ सालों में सबसे न्यूनतम कीमत मानी जा रही है। राहत बस इतनी ही है कि यह कीमत स्थिर बनी हुई है। ऐसे में मंडियों में आवक कमजोर बताई जा रही है।

ले रहे मध्य प्रदेश से

घरेलू मांग पूरी करने के लिए संस्थानें मध्य प्रदेश से गेहूं खरीद रहीं हैं। लेकिन अन्य प्रदेशों की खरीदी की वजह से कीमत ज्यादा देनी पड़ रही है। यही वजह है कि साफ-सुथरा गेहूं 3200 से लेकर 4000 रुपए क्विंटल की दर पर उपभोक्ताओं तक पहुंच रहा है। कीमत का यह रूप भी कमजोर खरीदी की वजह बना हुआ है।

आशंका वृद्धि की

प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश इस समय देश स्तर पर निकली मांग के दबाव में है। खबरों के मुताबिक ऐसी स्थिति में उच्च स्तर की बोली को प्राथमिकता दी जा रही है। इसलिए 3200 से 4000 रुपए क्विंटल पर चल रहा भाव, और आगे बढ़ सकता है। संभावना 4200 क्विंटल तक जाने की है। यदि ऐसा हुआ तो गेहूं में अब तक की सबसे बड़ी वृद्धि मानी जाएगी।

By MIG