मंडी प्रशासन ने खड़े किए हाथ

कामकाज की गति सुस्त

भाटापारा।  एक दूसरे की मदद से दिन में रखवाली कर ली जा रही है लेकिन शाम ढलने के बाद कृषि उपज की सुरक्षा, दुष्कर काम जान पड़ रहा है। मंडी प्रशासन ने पहले ही हाथ खड़े कर लिए हैं लेकिन पुलिस का रवैया समझ से बाहर है। ऐसे में रात, वाहन के नीचे ही काटी जा रही है।

आवक का दबाव। प्रांगण के भीतर सुस्त गति में होता कामकाज। मंडी प्रशासन भले ही आवक और कीमत को अपनी उपलब्धि बता रहा हो लेकिन सुरक्षा के मामले में उसकी व्यवस्था हताश ही कर रही है। ऐसे में नाराज़गी प्रशासन से इसलिए है क्योंकि जानकारी के बाद भी उसने जिम्मेदारी निभाने से खुद को दूर रखा है।

रात दिन एक समान

प्रांगण में प्रवेश के लिए लगता समय। प्रतीक्षा के बीच उपज से भारी गाड़ियों की सुरक्षा अहम है क्योंकि असामाजिक तत्व हर समय सक्रिय हैं। हुकिंग से स्टेक की बोरियों को खिसकाना बेहद आसान है। ऐसे में गश्त की जिम्मेदारी किसानों को ही उठानी पड़ रही है। दिन तो ठीक लेकिन रात्रि में नियमित पुलिस गश्त की मांग की जा रही है।

हैं गैर हाजिर यह

सामाजिक संस्थाएं और समाजसेवी भी खूब हैं शहर में लेकिन नजर नहीं आ रहे। इनकी उपस्थिति इसलिए जरूरी मानी जा रही है क्योंकि पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए दूर-दराज से आ रहे किसान भटक रहे हैं,या फिर बढ़ी हुई कीमत पर पानी खरीद रहे हैं प्यास बुझाने के लिए। नल और बोर इसलिए बंद है क्योंकि जब-तब विद्युत आपूर्ति बंद हो जा रही है।

सिरे से गायब

मंडी प्रशासन, अनुविभाग और जिला प्रशासन। व्यवस्थित कामकाज की जिम्मेदारी है इन तीनों पर लेकिन बने हुए हालात साफ प्रमाण है कि इस अहम काम से इन्होंने दूरी बनाई हुई है। ऐसी व्यवस्था में दिन में तेज धूप, तो रात में भीषण गर्मी और असुरक्षित माहौल में उपज की सुरक्षा कर रहे हैं किसान। रही बात जनप्रतिनिधियों की, तो उनके लिए यह गैर जरूरी काम है।

By MIG