इसलिए बेहतर की उम्मीद
भाटापारा। मांग की राह देख रहा है मछली जाल। उम्मीद बेहतर मांग की इसलिए बन रही है क्योंकि भाव जस-का-तस है। वैसे इस बरस मौसम की भविष्यवाणी को देखते हुए भंडारण की मात्रा संतुलित रखी गई है।
मछली जाल। सीजन ने पहुंच बनानी चालू कर दी है। जल ग्रहण क्षेत्रों में बीज डाले जा चुके हैं। प्रजनन काल है इसलिए मत्स्याखेट पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है। लिहाजा कारोबार याने बाजार और मछली ठेकेदारों की तैयारी शुरु होती नजर आ रही है। तैयारियों में दूसरा अहम काम है, पुराने जाल की मरम्मत और नए जाल की खरीदी किया जाना। लिहाजा जाल बाजार, इंतजार में है मांग निकलने का।

शांत है मांग क्षेत्र
तरेंगा, रोहरा, ढाबाडीह,दतरेंगी, कड़ार, लेवई, सिंगारपुर, निपनिया और करही बाजार ऐसे गांव हैं, जहां के तालाबों में मछली पालन होता है। इसके अलावा सरकार की प्रोत्साहन नीति के बाद खेतों और डबरियों में भी मछली पालन किया जाने लगा है। ऐसे में मछली जाल का बाजार वृहद रूप ले चुका है।

स्थिर है भाव
बीते साल की ही कीमत पर ठहरा हुआ है मछली जाल। 400 से 1000 रुपए किलो की, बोली जा रही कीमत के बीच राह देखी जा रही है मांग की। बदलाव यह देखा जा रहा है कि इस बरस जाल बाजार ने भंडारण की मात्रा में संतुलन बना कर रखा हुआ है क्योंकि भारत मौसम विज्ञान विभाग ने सामान्य बारिश की भविष्यवाणी की है।

यहां मत्स्याखेट प्रतिबंधित
ऐसे जल ग्रहण क्षेत्र जिनका संबंध जलस्रोत याने नदी, नाले, बांध और एनीकट से है, वहां 16 जून से 15 अगस्त तक मछली मारने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। बंदिश की अवधि में प्रतिबंधित क्षेत्र में मत्स्याखेट किए जाने पर एक साल की कैद या 10 हजार का जुर्माना के प्रावधान है। अलबत्ता केज कल्चर, छोटे तालाब और डबरियां जिनका संबंध जलस्रोत से नहीं है, वहां यह नियम प्रभावी नहीं होगा।