सुगबुगाहट फोटो कॉपी की कीमत बढ़ने की



बिलासपुर। आसार फोटो कॉपी की दरें बढ़ने के बन रहे हैं क्योंकि कागज और टोनर की कीमत दोगुनी हो चुकी है। अब देखना यह है कि सुगबुगाहट, प्रयास के रूप में कब बनते नजर आएंगे ? फिलहाल यह दर 2 रुपए प्रति कॉपी पर स्थिर है।

मंदी का ही दौर कहा जाना चाहिए इस क्षेत्र के लिए क्योंकि फोटो कॉपी की कीमत वर्षों से एक ही बनी हुई है जबकि जरूरी सामग्रियों की कीमत लगातार बढ़ रही है। मांग क्षेत्र जिस तरह बढ़त ले रहा है और खर्चे जिस अनुपात में बढ़ रहे हैं उसके बाद फोटो कॉपी कागज की लागत तक नहीं निकल पा रही है। इसलिए यह क्षेत्र अब संगठित होने की तैयारी में है।

पहला झटका

सरकारी कार्यालय। पहला ऐसा मांग क्षेत्र था जिसे फोटो कॉपी करने वाली संस्थानों के लिए जीवनदायिनी माना जाता था लेकिन इसने अब खुद की फोटो कॉपी करने वाली मशीनें लगा ली हैं। इसलिए यह मांग क्षेत्र हाथ से निकल चुका है। ऐसी ही स्थिति निजी क्षेत्रों में भी बन रही है।

दूसरा झटका

टोनर व कागज। इसकी बढ़ती कीमत जैसे झटके दे रही है उसने मुसीबत को और भी बढ़ा दिया है। लगभग दोगुनी हो चुकी इन सामग्रियों की कीमत ने लागत मूल्य को निकाल पाना मुश्किल कर दिया है। रही-सही कसर गला काट स्पर्धा पूरा कर रही है क्योंकि यह स्पर्धा भी बढ़ रही है।

ऑनलाइन झटका

ऑनलाइन कर सकते हैं आवेदन। दिक्कत या समस्या होने पर शिकायत भी ऑनलाइन की जा सकती है। सैकड़ों की संख्या में बनने और किए जाने वाले ऐसे आवेदन अब नहीं बन रहे। इसलिए फोटो कॉपी करने वाली संस्थानों में इस तरह के आवेदक अब नहीं आ रहे हैं। यह भी गंभीर झटके से कम नहीं है।है।

सहारा इनका

आमजनों की समस्या दूर करने के लिए सरकारी कार्यालयों में होने वाले साप्ताहिक कार्यक्रम, जनदर्शन और भेंट मुलाकात। यह कुछ ऐसे आयोजन हैं, जो फोटो कॉपी करने वाली संस्थानों के लिए सहारा बने हुए हैं लेकिन यहां भी अब आवेदनों की संख्या गिरती नजर आ रही है।

दशक बीता

मशीन की कीमत बढ़ी। कच्ची सामग्री के दाम बढ़ रहे हैं लेकिन फोटो कॉपी की दरें दशक भर से एक ही है। एक रुपए पर की जाने वाली फोटो कॉपी की दर भले ही अभी 2 रुपए पर स्थिर है लेकिन इसे कम से कम 3 रुपए होना चाहिए। ऐसा मानने वालों की संख्या इस क्षेत्र में अब बढ़ती नजर आ रही है। इसलिए शासकीय कार्यालयों के लिए किए जाने वाले काम की दर तय करने की मांग उठाने की योजना बन रही है। साथ ही संगठन बनाने की जरूरत भी महसूस की जा रही है ताकि आर्थिक संकट से निजात मिल सके।