कीर्तिमान बनाने की ओर साल बीज
कन्फेक्शनरी इंडस्ट्रीज की जोरदार खरीदी
बिलासपुर। मांग की रफ्तार ऐसी ही बनी रही तो साल बीज, कीमत का नया कीर्तिमान बना सकता है। इस समय महाराष्ट्र की मांग से भाव 1800 से 2000 रुपए क्विंटल बोले जा रहे हैं। नई फसल के लिए फिलहाल छह माह का वक्त है। आदिवासी अंचल से आ रही खबरों के अनुसार उत्पादन सामान्य बने रहने के आसार हैं।
महाराष्ट्र ने साल बीज की खरीदी को लेकर रुझान दिखाने चालू कर दिए हैं। इससे साल बीज के बाजार में तेजी आने लगी है। कुछ ऐसा ही हाल पड़ोसी राज्य उड़ीसा में भी बन रहा है, जहां का साल बीज, गुणवत्ता के मामले में छत्तीसगढ़ को हमेशा से मात देता आया है लेकिन कीमत में छत्तीसगढ़ से उसे हमेशा पीछे रहना पड़ता है। इस बार कड़े मुकाबले के लिए तैयार है छत्तीसगढ़। संग्राहकों को गुणवत्ता की जानकारी दी जा चुकी है। लिहाजा अपने प्रदेश का उत्पादन इस बरस महाराष्ट्र में मांग में बना रहेगा।

इसलिए तेज
बस्तर, गरियाबंद, धमतरी और उदंती अभयारण्य। इन चारों का वन क्षेत्र, साल के वृक्षों से आच्छादित है। प्रदेश में इस प्रजाति के वृक्ष विशाल भू-भाग में फैलाव लिए हुए हैं। गुणवत्ता भी बेहतर मानी जाती है। खासकर महाराष्ट्र की चॉकलेट उत्पादन इकाइयां जिस गुणवत्ता की मांग करतीं हैं उसे यह क्षेत्र पूरा कर रहें है। प्रतिस्पर्धी राज्य उड़ीसा के पास इस समय मांग के अनुरूप साल बीज की उपलब्धता नहीं है। इसलिए तेजी का क्रम बना हुआ है।

इनकी भी निकली मांग
औषधि बनाने के लिए साल बीज की जरूरत होती है। इसके अलावा साबुन उत्पादन करने वाली यूनिटों की भी मांग बनी हुई है। इसलिए साल बीज में मांग का दबाव बना हुआ है। अगली फसल 6 माह बाद आएगी। तब तक पुराना स्टॉक में तेजी के बने रहने के प्रबल आसार बनते नजर आ रहें हैं।

आदिवासियों का कल्पवृक्ष
साल वृक्ष को आदिवासियों का कल्पवृक्ष के रूप में मान्यता मिली हुई है। यह इसलिए क्योंकि यह घरेलू जरूरतों के लिए अहम ईंधन की आपूर्ति तय करता है, तो निकलने वाले बीज और धूप से अतिरिक्त आमदनी होती है। इसके अलावा फर्नीचर भी बनते हैं। यही वजह है कि साल वृक्ष को आदिवासियों का कल्पवृक्ष कहा जाता है।
निकली मांग
चॉकलेट बनाने वाली इकाईयों की मांग निकलने लगी है। मांग के अनुरूप उपलब्धता नहीं होने से साल बीज की कीमत 1800 रुपए क्विंटल तक पहुंच चुकी है।
– सुभाष अग्रवाल, संचालक, एसपी इंडस्ट्रीज, रायपुर