एग्जाम करीब, लेकिन खूब बज रहे धुमाल

भाटापारा। स्कूल है, कोई नहीं बोलेगा। अस्पतालें हैं, चिंता की कोई बात नहीं। सरकारी कार्यालय और बैंकिंग प्रतिष्ठानें हैं लेकिन जब इन सभी ने अपनी आंख और कान बंद कर रखे हैं, तो किसकी मजाल जो ध्वनि प्रदूषण को लेकर आवाज उठाए।

कैसे करें परीक्षा की तैयारी ? संक्रमण के लंबे दौर से उबरती स्कूलों में सालाना परीक्षा की तैयारी चालू हो चुकी है और छात्रों ने भी अपने स्तर पर अध्ययन करना चालू कर दिया है लेकिन इस तैयारी में बड़ी बाधा बन रही है वह ध्वनि प्रदूषण, जो तेज आवाज के साथ कानों तक पहुंच रही हैं। अस्पतालों में भर्ती मरीजों की बीमारी खत्म होने में विलंब भी हो रहा है, तो सरकारी कार्यालय अलग से परेशान होने लगे हैं क्योंकि नियंत्रण और कार्रवाई करने वालों ने खुली छूट दे रखी है।

कैसे करें पढ़ाई

ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, व्यवस्था जैसी भी हो। एग्जाम की तैयारी कर रहे स्कूली छात्र- छात्राओं को, बेलगाम तेज आवाज में बज रहे डीजे और धुमाल पार्टी खुली चुनौती दे रहे हैं। समय तय नहीं इसलिए सुबह, दोपहर या शाम और रात, किसी भी समय यह कानों में जोरदार मौजूदगी दे रहें हैं। ऐसे में यक्ष प्रश्न, यह कि ऐसे ध्वनि प्रदूषण के बीच कैसे करें तैयारी ?

मरीज, हो रहे हलाकान

इलाज के लिए अस्पतालों में भर्ती मरीज, प्रदूषण से परेशान होने वाले छात्रों के बाद दूसरा वर्ग है। सारा दिन तेज आवाज और देर रात तक शादी-ब्याह की पार्टियों से निकलकर आने वाली आवाज स्वस्थ करने की बजाय अस्वस्थ ही कर रही है। परेशानी किससे बताएं ? जैसे सवालों के साथ जिम्मेदार की खोज मेहनत भरा काम है क्योंकि यह लोग हैं तो जरूर, लेकिन कार्रवाई नहीं करेंगे।

यह भी परेशान

सरकारी कार्यालय और बैंकिंग प्रतिष्ठान, ऐसे क्षेत्र हैं जहां शांत माहौल बेहद जरूरी है लेकिन यह भी ध्वनि प्रदूषण से बेहद परेशान है क्योंकि कार्यालयीन समय में ही ऐसी गतिविधियां बेरोकटोक जारी है। शिकायत या आपत्ति तो उठाई जाती है लेकिन कार्रवाई के नाम पर महज आश्वासन ही हाथ आते हैं।

यह क्षेत्र सर्वाधिक प्रदूषित

रेस्ट हाउस से लेकर जल शोधन संयंत्र तक, सीधा मार्ग ध्वनि प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित है। बताते चलें कि इस मार्ग पर ही स्कूल, अस्पताल, सरकारी कार्यालय और बैंकिंग प्रतिष्ठान सबसे ज्यादा संख्या में हैं और ऐसी धुमाल पार्टियां भी इसी क्षेत्र में अपने कारोबार का संचालन कर रहीं हैं। जिला मुख्यालय तो फिर भी 25 किलोमीटर दूर है लेकिन स्थानीय प्रशासन ने जिस तरह की चुप्पी साध रखी है, उससे यही सवाल उठ रहे हैं कि क्या कलेक्टर से करें शिकायत ?