00नौकरी पेशा वाले काट रहे सीएमएचओ ऑफिस के चक्कर, विशेष लोगो को घर पहुँच मिल जा रही सुविधा

बिलासपुर। कोरोना का संक्रमण बढ़ा और जिले में सुविधा कम हुई तो शासन के निर्देश में स्वास्थ्य विभाग ने संक्रमित लोगो को घर में ही इलाज करने की सुविधा दे ही शुरुवात में जिले के 2० लोगो को ही ये सुविधा मिल रही थी लेकिन मरीज और बढ़ने लगे अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या घटने लगी तो स्वास्थ्य विभाग ने इसकी तय संख्या की पाबंदी हटा कर अनलिमिटेड मरीजों को घर में ही रह कर इलाज करने के दिशा-निर्देश दे दिए इसमें ए सिंटोमेंटिक यानी जिनमें लक्षण नहीं है। उन लोगो को सुविधा मिल रही है। ऐसे में जब वो ठीक हो जाते है और अपने दफ्तर या यात्रा के लिए कही जाते है तो उनसे ठीक होने का प्रमाण पत्र यानी सर्टिफिकेट मांगा जाता है। जो स्वास्थ्य विभाग नहीं दे रही है। ऐसे में नौकरी पेशा वाले कोरोना से ठीक हो चुके लोग कोरोना जांच सेटर, सिम्स और सीएमएचओं कार्यालय के चक्कर काट रहें है। लेकिन उन्हें न तो प्रमाण पत्र मिल रहा और न ही उचित सलाह मिल रही ऐसे में लोगो एक दफ्तर से दुसरे दफ्तर चक्कर काटने को मजबूर है। वहीं अब तक 6325 लोग होम क्वांरटीन में रह कर ठीक हो चुके है। लेकिन इमें से 5234 लोगो को अब तक कोरोना से ठीक होने का सर्टिफिकेट नहीं मिल पाया है। इनमें कई लोगो को तो ये भी पता नहीं है कि ठीक होने के बाद विभाग से सर्टिफिकेट भी मिलता है। जिसके कारण जरुरत के समय प्रमाण पत्र मांगे जाते है तब वो इसे हासिल करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के चक्कर लगाते है।

० केस 1
रेलवे स्टेशन में मांगा सर्टिफिकेट
तोरवा निवासी 35 वर्षीय एक व्यक्ति को किसी काम से दिल्ली जाना था। ऐसे में उसने जम्मूतवी ट्रेन की ऑनलाइन टीकट कटा ली लेकिन जब वो रेल्वे स्टेशन पहंुचे तो उनसे कुछ जानकारी ली गई जिसमें कोरोना संबंधित भी कई बात पूछी गई ऐसे में उन्हें खुद को संक्रमित होने के बाद ठीक होना बताया लेकिन रेलवे स्टेशन में लगे कर्मचारियों ने उनसे सर्टिफिकेट मांगी तो वो नहीं दे पाए जिसके बाद यात्रा स्थगित कर वो अपना सर्टिफिकेट बनावाने स्वास्थ्य विभाग पहंुचे यहां कर्मचारियों से पूछा लेकिन किसी ने कुछ भी नहीं बताया जिसके बाद वो सरकंड़ा के कुर्मी छात्रावास जहां जांच होती है वहां पहंुचे यहां डॉक्टर नहीं है कहते हुए उन्हें लौटा दिया गया।
-० केस2
ड्यूटी ज्वाइंन करने पर मेनेजर ने मांगा सर्टिफिकेट
कोरोना के कारण बहुत से सरकारी नौकरी के साथ निजी कर्मचारी भी इसके चपेट में आए ऐसे में एक 42 वर्षीय बैक कर्मचारी भी चेपेट में आया। स्वास्थ विभाग के डॉक्टरों ने उन्हें घर में रहने और कुछ दवा बताए जिसका सेवन करने कहा। ठीक होने के बाद वो वापस अपने काम पर लौठे लेकिन बैक के मेनेजर ने उससे ड्यूटी ज्वाइन करने से पहले कोरोना से ठीक होने की सर्टिफिकेट मांगी जो उसके पास नहीं था। ऐसे में वो पहले तिलक नगर के जांच सेंटर पहंचा जहां से उसे स्वास्थ्य विभाग के सरकंडा स्थित कार्यालय भ्ोज दिया। यहां भी उसे सर्टिफिकेट नहीं मिला अंतत: वो सरकंडा के कुर्मीछात्रावास पहुचा बहुत समझाने के बाद एक डॉक्टर ने उसे फिटनेस सर्टिफिकेट बना कर दे दिया।

० कोविड अस्पताल में ठीक होने वाले सभी को मिलता है सर्टिफिकेट
कोरोना से संक्रमित ऐसे मरीज जिनमें लक्षण दिखता है। उन्हें स्वास्थ्य विभाग पुराना बस स्टैंड स्थित जिला कोविड अस्पातल में इलाज के लिए भेजा है। यहां ठीक होने के बाद जब इन्हें डिस्चार्ज किया जाता है। तो इन्हें स्वस्थ होने का सर्टिफिकेट दिया जाता है। जबकि कम लक्षण वालों को कोविड सेंटर और बिना लक्षण वालों का घर में ही उपचार कराने के निर्देश दिए जाते है। नियमानुसार होम आईसोलेशन पीरियड खत्म होने के बाद इन्हें भी सर्टिफिकेट देना चाहिए पर स्वास्थ्य विभाग नहीं दे रहे हैं।