हरियाली और सुरक्षा में भी है कारगर
बिलासपुर। यह वृक्ष वन संरक्षण में मदद करता है। सूखा प्रभावित क्षेत्र में हरित आवरण बनाए रखने में सहायक माना जाता है। अनमोल पर्यावरणीय योगदान देने वाले इस वृक्ष का नाम है ‘गटारन’। संरक्षण और संवर्धन के उपाय खोज रहे वानिकी वैज्ञानिक फौरी जरूरत, पौधरोपण की सूची में इसका भी नाम शामिल करने को मान रहे हैं।
प्रयास सफल रहे तो पौधरोपण में अब गटारन के पौधे भी नजर आएंगे क्योंकि इसमें कई अमूल्य ऐसे गुणों का होना पाया गया है जो बिगड़ते पर्यावरण को काबू में रखते हैं। सबसे अहम यह कि सूखाग्रस्त क्षेत्रों में भी बेहतर ढंग से बढ़वार लेते हैं और अपने करीबी वृक्षों की हरियाली बनाए रखते हैं।

अनमोल है यह योगदान
दस से पन्द्रह मीटर ऊंचे गटारन के वृक्ष की पत्तियाँ चमकदार हरी होतीं हैं। प्रकृति के अनुकूल इसलिए क्योंकि यह सूखा सहिष्णु और अनुपजाऊ भूमि पर आसानी से तैयार हो जाता है। अपने करीब के वृक्षों को भी बेहतर सुरक्षा देता है हरियाली के लिए। लाभ उन झाड़ियों को भी होता है, जो समीप में ही होते हैं।

अनमोल औषधीय गुण
पत्तियाँ और छाल। बेहद विषैले होते हैं। इसलिए इसका उपयोग कीटनाशक दवाएं बनाने वाली ईकाइयां कर रहीं हैं। आंशिक मात्रा में खरीदी ऐसी कंपनियां कर रहीं हैं जो त्वचा रोग और दर्द निवारक दवाएं बनाती है। पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में जो योगदान गटारन का है, उसे अनमोल माना जा रहा है।

कोशिश पौधरोपण और संरक्षण की
प्रारंभिक अनुसंधान में हुए खुलासे के बाद अब गटारन का प्राकृतिक आवास बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। इसके तहत नए वृक्षों के लिए पौधरोपण और संरक्षण के लिए पुराने वृक्षों की सही देखभाल को वानिकी वैज्ञानिक अहम मान रहे हैं क्योंकि यह जलवायु परिवर्तन को काबू में रखता है।

बहुउपयोगी वृक्ष प्रजाति
गटारन एक बहुपयोगी वृक्ष प्रजाति है, जिसमें औषधीय, पर्यावरणीय एवं औद्योगिक संभावनाएँ मौजूद हैं। हालाँकि, इसके विषैले प्रभावों को देखते हुए इसके उपयोग में सावधानी बरतनी आवश्यक है। सतत अनुसंधान एवं संरक्षण प्रयासों से यह वृक्ष भविष्य में औषधीय एवं जैविक कीटनाशक के रूप में अधिक उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर छत्तीसगढ़