उबल रहा कोदो का चावल



भाटापारा। लाल 90 से 150 रुपए और सफेद 70 से 90 रुपए किलो। यह उस कोदो चावल की कीमत है, जिसकी जरूरत अब रोज महसूस की जा रही है। ऐसे में खड़ा कोदो में भाव 2500 से 2700 क्विंटल बोला जा रहा है।

हैरत में हैं कोदो चावल के मधुमेह रोगी उपभोक्ता निरंतर बढ़ती कीमत को देखकर। खुश हैं कोदो चावल बनाने वाली इकाइयां और खुदरा दुकानें क्योंकि कीमत और खरीदी लगातार बढ़ रही है। यही वजह है कि शहर में कोदो चावल बनाने वाली ईकाइयां संचालन में आ गईं हैं।

पहली बार

प्रदेश की प्रतिष्ठित भाटापारा कृषि उपज मंडी में पहुंच रहा कोदो इस समय 2500 से 2700 रुपए क्विंटल की दर पर नीलाम हो रहा है। भाव में तेजी की धारणा इसलिए व्यक्त की जा रही है क्योंकि इसमें भी प्रतिस्पर्धी खरीदी होने लगी है। यह स्थिति दीर्घकाल तक बने रहने की संभावना है क्योंकि मधुमेह रोगियों की मांग कोदो चावल में पूरे साल रहने लगी है।

बेहद गर्म कोदो चावल

सीमित उपलब्धता और चौतरफा मांग। इस स्थिति ने, न केवल कोदो की कीमत बढ़ाई की हुई है बल्कि तैयार चावल को भी बेहद गर्म किया हुआ है। फिलहाल खुदरा बाजार  लाल कोदो का चावल 90 से 150 रुपए किलो बोल रहा है, तो सफेद चावल की बिक्री 70 से 80 रुपए किलो की दर पर कर रहा है। आगे दिनों में भाव में बढ़त की धारणा इसलिए जताई जा रही है क्योंकि कोदो चावल का निर्यात महाराष्ट्र को किए जाने की खबर है।

संचालन में आई इकाइयां

अनुसंधान में मिले परिणामों के बाद कोदो की पहचान ऐसे मोटा अनाज के रूप में हुई है, जो मधुमेह को काबू में रखता है। यही वह महत्वपूर्ण गुण है, जिसकी वजह से इस समय शहर में कोदो चावल बनाने वाली तीन इकाइयां संचालन में आ गई हैं। जहां उत्पादित कोदो का चावल न केवल छत्तीसगढ़ की जरूरतें पूरी कर रहा है बल्कि महाराष्ट्र जैसे बड़ी मांग वाले क्षेत्र को भी भेजा जा रहा है।