बुद्धिसागर सोनी
रतनपुर । महीने भर पहले २९ मार्च २५ को केंद्रीय मंत्री तोखन साहू ने जिस तालाब में साफ सफाई अभियान चलाया था। उसी ऐतिहासिक तालाब कृर्ष्णार्जुनी की स्थिति “ढांक के तीन पात” जैसी है। इसके एक घाट पर गौशाला चल रहा है। वहीं जिम्मेदार आफिस में बैठ कर सुशासन तिहार मना रहे हैं।
नगर के ऐतिहासिक कृर्ष्णार्जुनी तालाब में जलभराव की व्यवस्था नहीं है। तालाब से चार वार्डों क्रमश:२,३,४ एवं ५ के नागरिकों का निस्तार होता है। तालाब के तट पर मुक्तिधाम और दशकर्म घाट है। पानी का स्तर घाटों से नीचे उतर चुका है। पानी सौ फीसदी प्रदूषित हो चुका है। निकाय द्वारा वार्ड नंबर २ के नाली का पानी इस आम निस्तारी वाले पौराणिक तालाब में प्रवाहित किया जा रहा है। तीन दशक पूर्व तक इस तालाब को अपासी पानी का दरकार नहीं था। बरसाती पानी तालाब में आता था। वेस्ट वियर के मुहाने एवं केचमेंट जोन में बेजाकब्जा हो जाने से बरसाती पानी का रास्ता बंद हो चुका है। प्राकृतिक जलभराव का स्त्रोत बंद होने के बाद निकाय द्वारा वैकल्पिक तौर पर चांपी जलाशय के माइनर से जलभराव का असफल प्रयास कर नागरिकों को लालीपाप थमा दिया गया है। निकाय का तकनीकी विभाग इस कदर बीमार है कि माइनर का पानी लेने माइनर के वाटर लाइनर से चार फिट ऊंचाई पर दो फुटिया नाली बनाया गया है जिसमें नहर का पानी चढ़ता ही नहीं। लिहाजा इस नाली के जरिए नव विकसित कालोनी के घरों का गंदा पानी तालाब में डाला जा रहा है।

दशकर्म घाट बन गया गौशाला
अब शिकायतों की बात करें तो कृर्ष्णार्जुनी तालाब के दशकर्म घाट में एक सरकारी शिक्षक के परिजन द्वारा बेजाकब्जा कर घाट का व्यावसायिक उपयोग निजी गौशाला के रुप में किये जाने संबंधी है। जिसमें राज्स्व विभाग द्वारा खानापूर्ति के लिए पंचनामा और रकबा नाप का नाटक कर मामला खत्म कर दिया गया है। इस संबंध में तहसीलदार को फोन किये जाने पर हाईकोर्ट से फोन आने की बात कहते हुए फोन काट दिया गया।

सुशासन तिहार की मांगों पर विचार नहीं
सुशासन तिहार में मांग करने के बावजूद भीषण गर्मी में तेजी से सूख रहे तालाब में पानी भरने निकाय द्वारा कोई पहल नहीं किया जा रहा है, वह भी तब जबकि परिषदीय आसंदी पर ट्रिपल इंजन वाली सरकार का राज है। नागरिकों द्वारा रतनपुर थाना के सामने पेयजल सुविधा, यात्री प्रतीक्षालय, एवं सार्वजनिक प्रसाधन की मांग किया गया है जो अत्यावश्यक तथा प्राथमिकता के तहत पूरा करने योग्य है। किंतु तिहार के प्रथम चरण के तीन सप्ताह बाद भी निकाय कोई कवायद नहीं दिखा रहा।