भाटापारा। बदरा खूब। नमी की मात्रा मानक से ज्यादा। पोहा क्वालिटी के महामाया धान की खरीदी से हाथ खींच रहीं हैं पोहा मिलें। इसके बावजूद यह प्रजाति 2200 से 2400 रुपए क्विंटल पर मजबूत है।

परिपक्वता अवधि के दौरान पर्याप्त सिंचाई पानी का नहीं मिलना अब परिणाम दिखाने लगा है। मौसम परिवर्तन और आंधी बारिश से फसलों को हर हाल में बचाने की कोशिश महंगी पड़ने लगी है। किसान और पोहा उत्पादन करने वाली ईकाइयों को इसका खामियाजा कमजोर उत्पादन और खराब गुणवत्ता के रूप में उठाना पड़ रहा है।

खींच रहे हाथ खरीदी से

परिपक्वता अवधि के दौरान पर्याप्त सिंचाई पानी के नहीं मिलने से बालियों में दानें नहीं बन पाए। यह बदरा के रूप में उपज के साथ पहुंच रहा है। कटाई के दौरान होने वाली बारिश ने, दानों में नमी की मानक मात्रा बढ़ा दी है। यह दोनों स्थितियां पोहा प्रसंस्करण ईकाइयों को नुकसान पहुंचा रहीं हैं। इसलिए ईकाइयों ने रबी फसल की खरीदी से खुद को दूर रखा हुआ है।

उपयोग भंडारित उपज का

प्रतिकूल परिस्थितियों को देखते हुए पोहा मिलें अब भंडारित धान का उपयोग कर रहीं हैं। इधर नई फसल में 5 महीने का लंबा समय है इसलिए संचालन की अवधि कम करने तथा उत्पादन की मात्रा घटाने जैसे उपाय भी किए जाने लगे हैं। रही बात तैयार पोहा के बाजार की, तो अपेक्षित और संतोषजनक मांग की कमी का भी सामना कर रहीं हैं पोहा मिलें।

अरसे बाद रौनक यहां

धान विष्णुभोग 6000 से 6400 रुपए क्विंटल। एचएमटी 2800 से 3000 रुपए क्विंटल और श्री राम 3000 से 3500 रुपए। धारणा आगे भी तेजी की है क्योंकि चावल की मांग निकली हुई है। खास तौर पर विष्णुभोग में सबसे ज्यादा। इसलिए अरसे बाद चावल मिलों का संचालन पूरी गति से किया जा रहा है।